पहली चूत की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मुझे मेरे जीवन की पहली चुदाई करने को मिली. मेरी मौसी की बेटी ने अपनी ननद को मुझसे चुदवाया.
दोस्तो, मेरा नाम अजय है. मैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एक छोटे गाँव में रहता हूँ।
मैं बीएससी के तीसरे वर्ष में हूं। मेरा हथियार 7.5 इंच का है।
कहानी दो साल पहले की है। मेरे घर में हम चारों, माँ, पापा और बड़े भाई हैं।
मेरी मौसी का घर मेरे घर के पास ही है। उनके घर में मौसी, मौसा और उनकी बेटी सोनी हैं। पर सोनी की शादी को पांच साल हो चुके हैं तो वो अपनी ससुराल में रहती हैं.
मैं उसे दीदी कहता हूं।
सोनी होली पर गाँव आई थी। उसके साथ उसकी ननद भी आई थी। उसका नाम ज्योति था.
वो दिखने में थोड़ी सांवली थी। पर उसका फिगर एकदम कड़क था। उसकी चूचियां उभरी हुई थी। उसकी गांड तो गजब की थी।
मैं अक्सर मौसी के घर जाता था। दीदी के साथ मेरी अच्छी बनती थी।
होली के दूसरे दिन सुबह नौ बजे जब मैं दीदी के घर गया तो मुझे देखकर मेरी मौसी ने मुझे बैठने के लिए कुर्सी दी।
दीदी और ज्योति पलंग पर बैठी थीं।
मैंने कुर्सी पलंग को चिपकाकर लगा दी और बैठ गया। मेरे पास में दीदी थी और वो दीदी के बगल में बैठी थी।
थोड़ी देर टीवी देखने के बाद मैंने अंगड़ाई लेते हुए हाथ ऊपर उठाए और अंगड़ाई लेते हुए हाथ खींचे।
मेरा एक हाथ दीदी के पीछे से ज्योति के कमर को लगा। उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसको सॉरी बोला वो थोड़ी मुस्कुराई।
मुझे अजीब सा लगा।
थोड़ी देर के बाद में वापस अपने घर आ गया।
शाम को मैं गली में अपने दोस्तों के साथ बैठा था।
तो ज्योति दीदी के साथ मार्केट जा रही थी।
मैंने उसकी तरफ देख कर एक स्माइल दी।
उसने देखा और वो चली गई।
अगले दिन मैं मौसी के घर गया, दीदी बैठी हुई थी तो मैं दीदी से बातें करने लगा।
थोड़ी देर बाद ज्योति आई.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो थोड़ा मुस्कुराई और दीदी के पास बैठ कर बातें करने लगी।
बातें करते हुए वो थोड़ा मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उससे पूछा- तुम क्या करती हो?
तो उसने बताया कि उसने बारहवीं की परीक्षा दी है।
तभी दीदी ने बोला- तू क्या कर रहा है अब?
तो मैंने उससे कहा- कुछ खास नहीं. एग्जाम आने वाले हैं, उसकी तैयारी में लगा हूं।
फिर बातों बातों में दीदी मुझसे पूछा- कोई गर्लफ्रेंड बनी या नहीं?
तो मैंने बोला- मुझे कहाँ कोई लड़की देखती है।
दीदी बोली- तुझमें क्या कमी है?
तो मैं बोला- आजकल की लड़कियों को हैंडसम लड़के अच्छे लगते हैं. मैं कहाँ हैंडसम हूं।
ज्योति भी हमारी बातें सुन रही थी।
मैंने उसके तरफ देखा तो फिर मुस्कुराई।
पर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि उसको पूछ लूं कि तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं।
थोड़ी देर बाद मैं अपने घर पर आ गया।
रात को मैं उसके बारे में ही सोच रहा था कि कैसे उसको पटाऊँ।
अगले दिन जब मैं दीदी के घर गया तो दीदी खाना बना रही थी।
मैं सीधा किचन में गया.
मौसी मुझे नहीं दिखी तो मैंने पूछा दीदी से- मौसी कहीं बाहर गई हैं क्या?
तो दीदी ने बताया- मौसी हमारे एक रिश्तेदार के यहां गई हैं. और वे दो दिन में लौट आएंगी।
दीदी से जब मैंने ज्योति के बारे में पूछा तो उसने कहा- वो तो चली गई।
तो मेरा चेहरा उतर गया।
ऐसे देख कर दीदी ने मुझसे बोला- क्या हुआ? तेरा चेहरा क्यों उतर गया?
तो मैंने दीदी को बोल दिया- मुझे ज्योति अच्छी लगती है।
पर मुझे कहाँ पता था कि ज्योति नहाने गई हुई थी।
तभी वो नहा कर वापस आई तो मैंने उसको देखा और मेरी नजर उसकी नजर से मिली।
मैं तो उसको देखता ही रह गया।
उसने पिंक कलर का गाऊन पहना था। क्या कमाल लग रही थी वो … गाऊन के ऊपर से उसकी तनी हुई चूचियां दिख रही थी.
मेरा तो मन कर रहा था कि अभी उसको पकड़कर किस करूं … उसकी चूचियों को प्यार से सहलाऊँ … मुंह में लेकर चूसता जाऊँ।
तभी दीदी जोर से हंसी।
अब मुझे अजीब सा लगा और ज्योति दूसरे कमरे में जाने लगी।
तो मैं पीछे से उसके हिलते हुए चूतड़ देख रहा था।
मेरी तो हालत खराब हो रही थी।
तभी दीदी ने ‘मेरी नजर कहाँ है’ देख ली।
और मुझे हाथ से हल्का सा धक्का देते हुए बोली- क्या हुआ? कहाँ खो गया है?
मैं कुछ नहीं बोला और वापस अपने घर आकर बाथरूम चला गया।
मैंने वो सीन याद करके अपने लन्ड को हिलाना शुरू किया।
मैं तो सपनों की दुनिया में खो गया।
बाथरूम में बैठे बैठे ही मैं ज्योति के सपने देख रहा था।
ऐसे कब मेरा पानी निकल गया … पता ही नहीं चला।
अब मैं बाथरूम से बाहर आया और दोस्तों के साथ खेलने में लग गया।
थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे आवाज दी तो मैं दीदी के पास चला गया।
मैं दीदी से नजरें नहीं मिला रहा था।
दीदी ने कहा- ज्योति ने कल जो कपड़े खरीदे थे, वे बदलने है उसको टाइट आये हैं। क्या तुम उसके साथ मार्केट चले जाओगे?
मेरे तो मन में लड्डू फूट रहे थे।
मैंने हाँ कहा।
फिर दीदी से कहा- मैं बाइक लेके आता हूं।
हमारे घर से मार्केट थोड़ा दूर है।
मैं अपने घर पर आया और फ्रेश होने चला गया।
फ्रेश होकर दूसरे कपड़े पहने परफ्यूम लगाया और अपनी बाइक लेके दीदी के घरके सामने रुक गया.
मैंने हॉर्न बजाया।
थोड़ी देर बाद ज्योति बाहर आई. उसने टाइट जीन्स पहनी थी।
मैंने उसको बाइक पर बैठने के लिए कहा.
वो बैठ गई।
दीदी के सामने वो मुझसे थोड़ा दूर होकर बैठी थी.
रास्ते में स्पीड ब्रेकर आया तो मैंने ब्रेक लगा दी। वो आगे की तरफ झुक गई और उसकी चूचियां मेरी पीठ से टकराई।
मेरे तो शरीर में करंट सा लगा। मेरी पैन्ट में हलचल होने लगी।
पर वो पीछे नहीं हुई; वो वैसे ही बैठ गई।
मेरी हालत खराब हो रही थी। मजा भी आ रहा था.
फिर हम उस दुकान पे पहुंचे जहाँ हमें कपड़े बदलने थे।
मैं उसके साथ अंदर जाने वाला ही था कि तभी मुझे दीदी का कॉल आया.
फोन पे बात करने मैं एक साइड चला गया और वो अंदर चली गई।
दीदी ने मुझसे बोला- मैंने ज्योति को बता दिया कि तुम उससे प्यार करते हो।
तो मैंने पूछा- उसने क्या कहा?
दीदी बोली- अगर वो खुद मुझे बोलेगा तो मैं मना नहीं करूंगी।
मैं फोन पर बात ही कर रहा था, तभी वो बाहर आ गई।
मैंने फोन कट किया और ज्योति की तरफ आ गया।
उससे मैंने पूछा- बदल लिए कपड़े?
तो उसने हाँ कहा।
मैंने उससे पूछा- और कुछ लेना है?
तो उसने नहीं कहा।
मैंने उससे पूछा- जूस पीने चलें?
तो ज्योति ने पहले ना कहा.
मैंने जोर देते हुए बोला- चलो!
तो वो मान गई।
हम जूस सेंटर पर गए।
मैंने उसको बोला- तुम बैठो, मैं अभी आया.
और मैं बाहर आया.
बाहर से एक गुलाब का फूल लिया और गाड़ी में रख दिया और अंदर चला गया.
वहां हमने जूस पिया और बाहर आ गए।