मेरा लंड अब फिर से खड़ा होने लगा था इस कुँवारी जिस्म को देख के और उसके मस्त चाटने से दीदी ने उसे बेड पर लेटाया और कमर के नीचे तकिया लगाया जिससे चूत खुली दिखने लगी और नंदिता को किस करने लगी जिससे अगर नंदिता सील टूटते समय चीखे तो आवाज़ बाहर नही जाये दीदी ने मेरे लंड को उसकी चूत के मुँह पर टिकाया और मुझे कहा भाई धीरे से डालना मैने हल्का सा झटका लगाया लंड थोड़ी दूर जाकर फंस गया दीदी ने नंदिता का मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया पर उसके आँसू नहीं रुक पाये उसके गालो पर बहने लगे दीदी उसे किस करने लगी में उसकी जाँघ और कमर सहलाने लगा थोड़ी देर मे उसका जब दर्द कम हुआ तो में उतनी देर मे आगे पीछे करने लगा हर दो तीन झटकों के बाद एक थोड़ा तेज़ झटका लगा देता.
मैने आँखों ही आँखों मे दीदी को इशारा किया दीदी समझ गयी दीदी ने उसका मुँह पूरी तरह बन्द कर दिया अपने मुँह से फटाआआआककक और पूरा लंड अंदर सील टूट गयी नंदिता की वो थोड़ा छटपटाने लगी पर दीदी उसका शरीर सहलाने लगी में थोड़ी देर रुक गया फिर धीरे धीरे चुदाई शुरू की फ़च्चा फक फ़च्चा फक फ़च्चा फक फ़च्चा फक फ़च्चा नंदिता को दर्द हो रहा था पर में कहा रुकने वाला था मुझे टाइट चूत चोदने मे मज़ा आ रहा था थोड़ी देर बाद वो भी मज़ा लेने लगी उसका दर्द कम होने लगा होगा फिर दीदी ने उसके मुँह को आज़ाद कर दिया वो अब मज़े से गांड उठा उठा के मेरे धक्को का जवाब दे रही थी दीदी नीचे जाकर कभी मेरे लंड की गोलियाँ चूस रही थी तो कभी नंदिता की चूत के नीचे का रस फिर दीदी उपर आई और नंदिता के मुँह मे अपनी चूची दे दी.
दीदी – चूस बेटी चूस मेरी चूची चूस तूने 5 साल तक मेरी चूची से दूध पिया है आज भी पी ले.
नंदिता – हाँ मम्मी दो मुझे आज भी पीना है.
फिर नंदिता दीदी की चूची चूसने लगी और में मज़े से टाइट चूत चोद रहा था मखमली कमर पकड़ के शॉट लगा रहा था थोड़ी देर के बाद मुझे नंदिता को उल्टा करके चोदने का मन कर रहा था उसके चुत्तड महसूस करने का मन कर रहा था मैने दीदी को बोला दीदी अब लेट जाओ और नंदिता से अपनी चूत चटवाओ में इसे पीछे से चोदूंगा अब मैने नंदिता को कुतिया स्टाइल मे कर दिया और पीछे से चूत मे लंड डाल दिया और उसके बाल पकड़ के चोदने लगा और उसका मुँह दीदी की चूत पर था
हर झटके के बाद वो अपनी पूरी जीभ दीदी की चूत के अंदर डाल देती मै अब बाल छोड़ के अब कमर पकड़ के ज़ोर ज़ोर से शॉट लगाने लगा घपाआक घप घपाआक घप घपाआक घप पूरा कमरा चुदाई और सिसकारियों की आवाज़ से गूँज रहा था नंदिता अब झड़ चुकी थी दीदी की चूसाई हो रही थी वो भी अब बहने लगी थी नंदिता अब अपनी माँ के रस को पी रही थी में भी अब झड़ने वाला था.
मेंने ज़ोर ज़ोर से चोदते हुये अपना सारा माल नंदिता की चूत मे ही गिरा दिया मेरे लास्ट झटके के बाद में उस पर गिरा और उसका मुँह दीदी की चूत पर फिर थोड़ी देर तक हम तीनो ऐसे ही पड़े रहे दीदी उठी और अपनी चूत को साफ किया और नंदिता को उठा कर बेडशीट बाथरूम मे डाला उस पर नंदिता के सील टूटने के कारण खून के धब्बे पड गये थे और हम लोगो का रस भी लगा था उस पर फिर हम तीनो कपड़े पहन कर सो गये नंदिता अपने कमरे मे सुबह 5 बजे चली गयी.
मुझे आशा है की आपको मेरी कहानी पसंद आई होगी ..धन्यवाद ..