देसी स्टाइल में मस्त चुदाई

अपनी बीवी को चेतन इस स्थिति में देख कर और उत्तेजित हो गया था, अब मैं उठ कर पलंग के पीछे चला गया, और वहाँ से उसके दोनों उभार थाम लिए और उन्हें पहले तो प्यार से सहलाया, फिर थोड़ा दवाब बढ़ाते हुए उसके निप्पल जो टाईट हो चुके थे, को धीरे धीरे मसला। मेरी निगाह लगातार उसके चेहरे पर उभरते भावों पर थी,कि मेरी किन हरकतों से उसे आनन्द आ रहा था और किससे कष्ट या परेशानी हो रही थी, इसलिए मैं वो ही हरकतें ज्यादा कर रहा था जो उसे उत्तेजक कर रही थी।
वक्ष को अच्छी तरह सहलाने के बाद मैं उसके बगल में आ गया और अब उसके एक वक्ष को दोनों हाथों से कस के पकड़ कर निप्पल को मुँह में लेते हुए चूसना शुरू कर दिया। उसकी आहें तेज़ हो गई थी, बीच बीच में मैं दूसरे स्तन को भी सहला और दबा रहा था, और चेतन ये सब देख कर इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर हाथ में ले लिया और सहलाने लगा। और फिर पास आकर खुद भी प्रफुल्ला के उरोज़ों को थाम लिया।
तभी मुझे एक आइडिया सूझा, मैंने चेतन को प्रफुल्ला का दूसरा चुचूक चूसने का इशारा किया जैसे मैं चूस रहा था ऐसे ही दबा दबा कर !
और मेरे इशारा पाते ही वो भी शुरू हो गया।
और प्रफुल्ला ! उसका तो हाल बुरा हो चुका था ! बहुत कम घरेलू औरतें ऐसी होती हैं जिनके दोनों वक्ष एक साथ खींचे, सहलाये और चूसे जा रहे हों। वो अब बेकाबू होती जा रही थी और अपने कूल्हे और चूतड़ उछालने लगी थी।
मैंने अपने हाथों से उसकी चूत पकड़ कर उसे शांत करने की कोशिश की लेकिन वो अब मेरे कपड़े ही खींचने लगी और खोलने की कोशिश करने लगी।
अब मुझे भी लगा कि यह बेचारी कब से नंगी पड़ी है, और मैं पूरे कपड़ों में हूँ, यह गलत है।
यही सोच कर मैं उठ खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए और पूर्ण नग्न हो गया। मेरा लण्ड भी अब वापिस खड़ा और सख्त हो गया था। अब मैंने उसे उठने का इशारा किया, वो बैठी हो गई तो मैंने अपना लण्ड उसे पकड़ा दिया।
मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आता है जब मेरा सख्त लण्ड किसी औरत की नाज़ुक नाज़ुक हाथों द्वारा सहलाया जाता है।
मैं उत्तेजना के मारे पसर गया और वो मेरे ऊपर चढ़ बैठी और सहलाते सहलाते उसे मुँह में ले लिया।
मेरी चीख निकल गई।
यह तो अच्छा हुआ था कि मैं एक बार लण्ड झाड़ आया था, वरना कभी का पानी छूट जाता इसका और मज़ा भी नहीं आता।
अब वो इत्मीनान से लण्ड के मज़े ले रही थी।
कुछ देर बाद मैंने अपने आप को उससे छुड़ा लिया और उसे पकड़ कर उन्हीं चार तकियों पर इस बार उलटा करके इस तरह लेटाया कि उसके कूल्हे तकियों पर जा टिके और पहले से उभरे हुए चूतड़ और ज्यादा उभर गए।
मेरी उत्तेजना चरम पर थी, अब मैंने उसके उभरे चूतड़ों पर दनादन चांटे और चपत लगानी शुरू की, वो हर चांटे पर उछल पड़ती थी और इस अंदाज़ में कि और मारो, !
फिर मैं और मारता था।
अब चेतन भी पास आ गया और वो भी शुरू हो गया ! मेरे ये चांटे और चपत चोट पहुँचाने के लिए नहीं थे, बहुत हल्के और उत्तेजक थे।फिर मैंने उसके कड़े चूतड़ों के दोनों उभारों को खींच कर दो फाड़ किया और उस जगह पर अपने दोनों हाथों के अंगूठों से बारी बारी से सहलाया।
प्रफुल्ला की उत्तेजक आवाजों से वो कमरा गूंजने लगा।
वो अचानक उठी, पलटी और चूत फैला कर चिल्लाने लगी- प्लीज़ फक मी ! प्लीज़ फक मी !
मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही हो? मेरी समझ में नहीं आ रहा है।
तो उसका सब्र जवाब दे गया और वो देसी भाषा पर आ गई- ओह अरुण ! मुझे चोदो यार ! चुदाई करो जल्दी ! अब रहा नहीं जा रहा ! अपने लण्ड से प्यास बुझा मेरी चूत की जल्दी ! जल्दी !
और यहां मेरा भी हाल बुरा था, मैंने भी समय व्यर्थ न गंवाते हुए जल्दी से लण्ड पर कंडोम चढ़ाया, चेतन को प्रफुल्ला के पैर चौड़े करने को कहा और उसकी चूत के दोनों होंठ पूरे फैलाते हुए अपना लण्ड घुसा दिया और प्रफुल्ला ने जोर से सिसकारी निकालते हुए मुझे इतने जोर से भींच लिया कि उसके नाख़ून से मेरी पीठ पर खून तक निकल आया।
वो इतना ज्यादा हल्ला मचा रही थी कि आखिर मैंने अपने होंठों से उसका मुँह बंद किया और फिर उसकी चुदाई जारी रखी…
तो दोस्तो, यह घटना लिखते लिखते मैं फिर इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया हूँ कि बस ! इसके आगे नहीं लिख पाऊँगा !

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