दीपाली की ख़ूबसूरत चुत मिलगया 2

यह सुन कर मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत ऊपर को उठ गई। अब मैंने उसकी टांगों को चौड़ा करके घुटनों से मोड़ कर ऊपर को उठाया और अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर रखा तो मुझे लगा कि मैंने लण्ड किसी भट्टी पर रख दिया, उसकी चूत इतनी गरम थी और भट्टी की तरह तप रही थी। मैंने अपनी कमर को उठा कर एक धक्का मारा और मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया और इसके बाद मैंने एक बहुत जोरदार धक्का लगाया जिससे 5-6 इंच तक मेरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से एक सिसकी निकली और बोली कि तू तो बड़ा बेदरदी है जो एक ही धक्के में अपने लण्ड को मेरी चूत में घुसाना चाहता है ! अरे मेरी चूत फ़ाड़ने का इरादा है क्या ? ज़रा आराम से कर ! तेरा लण्ड बड़ा है ना इसलिये दर्द होता है।

लेकिन मैंने उसकी एक भी नहीं सुनी और एक और धक्का तेजी के साथ लगा दिया और अब सारा का सारा लण्ड उसकी चूत में घुस गया था। वोह हल्की सी आवाज में चिल्लाई- हय य ययययी अर्रर्ररे मर गई ऊऊऊ मेर्रर्रररि म्मम्ममआआआअ मेर्रर्रर्रर्रररीईईई चूऊऊत फाआआआआआआड़ दीईई !

और मैं एकदम डर गया कि कुछ गड़बड़ ना हो गई हो और पूछा कि ज्यादा दर्द हो रहा हो तो मैं निकाल लूँ !

वो बोली- अरे नहीं ज्यादा तो नहीं मगर तूने एकदम अंदर कर दिया है इसलिये थोड़ा सा दर्द हो रहा है, तेरा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है ना इसलिये !

अब तू मेरे ऊपर लेट जा और चूची चूस !

और मैंने ऐसे ही किया और उसकी चूची चूसने और मसलने लगा। कुछ देर में ही उसे मज़ा आने लगा और अपनी गाण्ड हिला हिला कर ऊपर को उठने लगी और बोली- अब धक्के लगा ! और मैंने अपनी कमर और चूतड़ उठा उठा कर जोर शोर से धक्के मारने शुरु कर दिये। थोड़ी ही देर में उसके मुँह से अन्ट शन्ट आवाजें निकलने लगी। वो बोल रही थी- अयययीईए । र्रर्रे स्सह्हूओद्दद्द मूऊउझे जूओर जोऽऽर से चोद फाआअड़ दे मेर्रर्रीईइ चूऽऽऽत कोऽऽ उफ़्फ़फ़फ़्फ़फ़ मेर्रर्रर्रा फह्हह्हहिर्रर्रर से निकलने वलाआआआआअ है हाअ और जोऽऽर से और यह कर कर तेजी से कमर हिलने लगी और स्सस्सीईईईइस्सस्सस्सीईई करती हुई झड़ गई।

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मेरा लण्ड एकदम गीला हो गया था और काफ़ी चिकना हो गया था जिससे वो 2-3 बार बाहर भी निकल गया। अब मैंने धक्के लगने की गति तेज कर दी थी। मुझको थोड़ी मस्ती सूझी और मैंने धक्के लगाते-2 एक उंगली पर उसका पानी लगाया और अचानक उसकी गाण्ड के सुराख पर फेरते हुये मैंने उंगली को उसकी गाण्ड के अंदर कर दिया और वो एकदम दर्द से चीख उठी और बोली- क्या शैतानी कर रहा है? अरे मेरे को दर्द होता है, मेरी गाण्ड से उंगली को फ़ौरन बाहर निकालो।

मैंने पूछा- क्या कभी किसी से गाण्ड मरवाई है? मैं तुम्हारी गाण्ड मारना चाहता हूँ।

इस पर दीपाली ने कहा- नहीं ! मैंने अपनी गाण्ड कभी नहीं मरवाई है और ना ही मेरे से मरवाएगी क्योंकि वो गाण्ड मारने को सही नहीं मानती !

फिर उसने पलट कर पूछा- क्या तुमने किसी से अपनी गाण्ड मरवाई है या किसी की गाण्ड मारी है !

तो मैंने नहीं में जवाब दिया।

इस पर उसने कहा- विक्की तू तो बहुत ही सुंदर और स्मार्ट है, तुझे कैसे छोड़ दिया? क्योंकि लड़के आपस में एक दूसरे की गाण्ड ही मार कर काम चलाते हैं।

मैंने कहा- मैं सेक्सी ज़रूर हूँ लेकिन मैं ना तो किसी लड़के की गाण्ड मारता हूँ और ना ही मरवाता हूँ, मैं तो बस चूत ही चोदना चाहता हूँ। हाँ आज तुम्हारी गाण्ड पर दिल आ गया है इस लिये मारना चाहता हूँ। दीपाली बोली- अभी तक तो मैंने गाण्ड कभी नहीं मरवाई है, यदि कभी मरवाने की इच्छा हुई तो तुझसे ही मरवाउंगी।

हम बातें कर ही रहे थे कि वो फिर से अन्ट-शन्ट बकने लगी- ह्हह्हाआआ और जोर से माआअर्रर्रर निकाल दे म्ममेर्ररा स्सस्सस्सस्ससाआआर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रा पानीऽऽ आअज्जज्जज्ज ज्जज्ज बना दे मेरी चूह्हह्हह्हह्हहूऊऊत की चटन्नन्नन्नीईई उफ़्फ़ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ ह्हह्हा आअ !

वो ऐसे ही करती रही और इधर मेरे भी धक्कों की रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी और मैं पसीने-2 हो रहा था अब मेरे मुँह से भी अन्ट-शन्ट निकलने लगा= ह्हह्हाआअ कयूऊं नहीं मैं आज ही तुम्हारी चूत को चोद कर भोसड़ा बना देता हूँ हाय ! मेरा अनेययययययी लगा हैईईईईई लगता है कि निकलने वाला है उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ और लूऊऊओ और लूऊऊऊऊऊऊऊऊ कहते हुए फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था कि लगा कि मेरे लण्ड से कुछ बाहर आ रहा है और मैंने हांफ़ते हुए उसे कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से उसकी चूची चूसने लगा। उधर दीपाली भी आवाजें निकाल रही थी- हाआ ऐईईईईईईईइ मैईईईई फिर्रर्रर सेयययययी झर्रर्रर्रर्रर्रर रहीईईईई हूँ्न ऊऊओ मेरि माआआआआआआआ मेर्रर्रर्रराआआआआआ निकल रहा है ! और यह कहते -2 उसका सारा शरीर एक बार फिर से अकड़ गया और वो भी मेरे साथ साथ झड़ गई।

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उसने झड़ते हुये अपने दांत मेरे कंधे में गड़ा दिये और मेरे मुँह से एक चीख निकल गई और वोह जोर से हंस पड़ी। मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा। फिर हम दोनों उठकर बाथरूम में गये तो उसने मुझे बाहर जाने के लिये कहा पर मैंने मना कर दिया और कहा- परिया मैं तो यहीं रहूँगा और तुमको पेशाब करते हुये देखूंगा !

पहले तो वो मना करती रही लेकिन वो फिर मन गई और मेरे सामने बैठकर पेशाब करने लगी। मैं यह तो नहीं जान पाया कि उसका पेशाब चूत में से कहाँ से निकल रहा है लेकिन उसको पेशाब करते हुये देख कर अच्छा बहुत लगा। उसके पेशाब की धार उसकी चूत से काफ़ी मोटी बाहर आ रही थी और ऊपर को उठती हुई काफ़ी दूर पड़ रही थी और दीपाली मेरी तरफ़ देख कर शर्मीली हंसी हंस रही थी।

फिर मैंने पेशाब किया तो उसने भी मुझे बड़े गौर से देखा। मेरी भी धार काफ़ी मोटी थी और काफ़ी दूर तक जा रही थी। इसी बीच हम दोबारा उत्तेजित होने शुरु हो गये और हम लोगों ने एक बार फ़िर से चुदाई की। हम काफ़ी देर तक यूँ ही चिपटे हुये नंगे पड़े रहे और बात करते रहे। मेरा मन तो उसको एक बार फ़िर से चोदने को कर रहा था लेकिन दीपाली ने ही मना कर दिया और कहा- ज्यादा चुदाई नहीं करनी चाहिये वरना कमजोरी आ जायेगी। मैंने भी उसकी बात मान ली और अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गये और फ़िर दूसरे मौके की तलाश में रहने लगे।

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