कॉलेज मैडम को हवस के चकना चकया

मेरे कॉलेज का समय कब निकल गया मुझे पता ही नहीं चला और अब यह वाखरी वर्ष है इसलिए मैं अपने कॉलेज में ही ज्यादा समय बिताता हूं। इसी वर्ष हमारे कॉलेज में एक नई मैडम आई उनका नाम कंचन है। वह बात करने से बड़ी ही अच्छी प्रतीत होती थी लेकिन जब मुझे उनके बारे में पता चला कि उनके अफेयर तो कॉलेज में कई अन्य प्रोफेसरों के साथ है तो मेरी भी सोच उनके लिए बिल्कुल वैसे ही हो गई जैसे और छात्रों की थी।

कॉलेज में सब लोग उनके बारे में बहुत गंदा कहते थे। मैं भी उनके बारे में अब ऐसा ही सोचने लगा था लेकिन एक दिन वह इन सब से इतना ज्यादा परेशान हो गई थी की उन्होंने कॉलेज में एक स्टूडेंट को थप्पड़ मार दिया। जब उन्होंने उसे थप्पड़ मारा तो कॉलेज में काफी बवाल हो गया और उस लड़के के माता-पिता आ गए। जब उसके माता-पिता आए तो कंचन मैडम कहने लगी कि आपका लड़का मेरे बारे में इतने गलत कमेंट करता है और सब लोगों से मेरे बारे में गलत कहता है। क्या इसे मेरे बारे में बोलने का कोई अधिकार है। मेरी अपनी जिंदगी है मैं कैसे भी जियूँ। क्या आप लोगों को इससे कोई फर्क नही पड़ना चाहिए। वह इतने गुस्से में थी कि कॉलेज में जितने भी लोग उनके बारे में गलत सोचते थे वह सब बहुत डर गए। मैं भी वहीं पर खड़ा था क्योंकि कॉलेज में बहुत ज्यादा भीड़ हो गई थी और सारे लोग कॉलेज में आ गए थे। जब कॉलेज के और पुरुषों को यह बात पता चली तो वह सब भी कहने लगे कि यहां पर जितने भी बच्चे हैं वह सब कंचन मैडम के बारे में बहुत गलत धारणा अपने दिमाग में पाले बैठे हैं लेकिन ऐसा नहीं है। उस दिन तो यह मामला शांत हो गया लेकिन मुझे यह बात समझ नही आई की कंचन मैडम के बारे में किसने इतनी गलत अफवाह फैलाई कि वो इतना गुस्सा होने लगी। मैंने सोचा कि इसके बारे में मुझे जांच पड़ताल करनी चाहिए। मैंने इस बारे में एक दिन कंचन मैडम से बात की। इस मामले को हुए काफी समय हो चुका था और जब मैंने कंचन मैडम से पूछा कि मैडम मैं तो आपकी बहुत ही रिस्पेक्ट करता हूं लेकिन मुझे और लोगों ने भी आपके बारे में बहुत ही भला बुरा कहा है और वह सब आपके लिए गलत ही सोचते हैं।

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कंचन मैडम की आंखों में आंसू आ गए और वह मुझे कहने लगी मेरा तो अब इस कॉलेज में पढ़ाने का मन भी नहीं है लेकिन मेरी मजबूरी है मैं नौकरी नहीं छोड़ सकती। मैंने उनसे पूछा आपकी कैसी मजबूरी। वह मुझे कहने लगे मैं तुम्हें यह बात नहीं बता सकती तुम जाने दो तुम अपनी पढ़ाई में ध्यान दो। तुम एक अच्छे लड़के हो और यह तुम्हारे कॉलेज का आखिरी वर्ष है इसलिए तुम अपनी पढ़ाई में पूरा ध्यान दो परंतु मैंने भी सोच लिया था कि मैं अब इस बारे में जानकारी ले कर ही रहूंगा। मैंने भी कंचन मैडम से एक दिन दोबारा बात की और उन्हें कहा कि आपको मुझे बताना ही पड़ेगा कि आपके जीवन में क्या तकलीफ है और सब आपके बारे में क्यों इतना गलत कहते हैं। उस दिन वह मुझे कहने लगी ठीक है तुम मेरे साथ मेरे घर चलना मैं तुम्हें बताती हूं कि सब लोग मेरे बारे में इतना गलत क्यों कहते हैं। मुझे उनके बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी वह मुझे अपने घर ले कर चली गई। जब वह मुझे अपने घर ले गई तो मैंने देखा उनके पति घर पर ही थे और वह उनसे बड़ी ही बत्तमीजी से बात कर रहे थे। मैं जब उनके पास बैठा हुआ था तो वह कंचन मैडम को कहने लगे यह लड़का कौन है तुम इसे घर पर क्यों ले आई। मुझे भी उस दिन बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी। उन्होंने अपने पति से कहा कि तुम्हें इससे क्या लेना देना यह कौन है और क्यों हमारे घर पर आया है। उनके मुंह से हल्की शराब की महक आ रही थी और वह बात करने में बिल्कुल भी सही नहीं लग रहे थे। कंचन मैडम ने मुझे कहा कि तुम दूसरे रूम में आ जाओ। वह मुझे दूसरे रूम में ले गई और वहां पर बैठकर हम दोनों बात करने लगे। कंचन मैडम कहने लगी कि यह मेरे पति हैं तुम इनके हाल तो देख ही रहे हो। यह दिन-रात सिर्फ नशे में डूबे रहते हैं और मुझे ही घर का खर्चा चलाना पड़ता है। मेरे ऊपर और भी जिम्मेदारियां हैं। मेरी शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी तक हमारा बच्चा नहीं हुआ है। सब लोग मुझे इस बात को लेकर भी ताने मारते हैं।

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मैंने उनसे कहा कि आपके पति क्या करते हैं। वह कहने लगी कि अब यह कुछ भी नहीं करते। पहले यह स्कूल में पढ़ाते थे लेकिन अब उन्होंने वहां से नौकरी छोड़ दी है और काफी समय हो चुका हैं जब से यह घर पर ही हैं शायद इसीलिए मुझे सब लोग कॉलेज में इतना गंदा कहते हैं और मेरे बारे में इतना गलत सोचते हैं। उनकी बात सुनकर मैं भी भावुक हो गया और मैंने उनसे कहा कि मैडम आप तो अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष कर रही हैं आपके जैसी महिला के बारे में अधिक लोग गलत सोचते हैं तो यह उनकी मानसिकता है। जब मैंने उनसे यह बात कही तो वह मुझे कहने लगी अब मैं तो अपने जीवन में बहुत परेशान हो चुकी हूं। बस अब तो अपना जीवन काट रही हूं। मेरे जीवन में कुछ भी खुशियां नहीं हैं। मेरे जीवन के रंग जैसे फीके पड़ चुके हैं। उनकी बातें मेरे दिल को छलनी कर रही थी। उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रखा तो मैंने भी उनकी जांघ पर हाथ रख दिया। वह मुझे कहने लगी अमन सब लोग मेरे बारे में इतना गलत सोचते हैं क्या मैं इतनी गलत हूं।

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