रंडी मा बहेनॉ वाली चुड़क्कड़ फॅमिली

मेरा नाम कानन है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ, एज 21. मैं एक लंबे कद का लड़का हूँ और शायद इसीलिए मेरा लंड भी करीबन 8 इंच लंबा है. ये मेरी फॅमिली चुदाई की कहानी है.

मैं तोड़ा सा पतला हू लेकिन जिम जाने के वजह से मस्क्युलर भी हूँ. ये कहानी बहुत ही हॉट होने वाली है तो अब आप अपना लंड मुति मे लेलो और लड़किया अपनी छूट में उंगली डाल लो.

मेरा परिवार बहुत ही ज़्यादा खुले विचारों वाला है. इसमे मैं, मेरे पापा का नाम अमरेंडर उमर 50, बहुत लंबा चौड़ा आदमी रंग काला.

मेरी मम्मी विंद्रा: उमर 48, एकदम गोरी जैसे तमन्ना भाटिया, और शरीर में एकदम मिलफ जैसे जूलीया अन्न, आगे 57, भरा पूरा मांसल शरीर, 36द-34-38 का फिगर. एक ऐसी माल औरत जो सिर्फ़ चुदाई के लिए ही बनी हो. हल्की उभरी हुई गंद जिससे कॉलोनी मे सबकॉ लगता है की रोज़ गांद मरवती हो.

सारी मे पता नही ल्गता लेकिन जब सलवार सूट पहें कर निकलती है तो चूटर (हिप्स) हिलते हुए दिखते है. चूटरो पर बहुत मास है और बहुत भारी है. बोबे (बूब्स) एकद्ूम मिल्की वाइट, ब्लाउस हो या कोई और टॉप हमएसा क्लीवेज के कुछ हिस्से को दिखाए रखती है.

वो घर में हमेशा पेटीकोत और ब्लाउस में रहती है. उसके गोरे गोरे पेट पर उसकी गहरी नाभि मेरा लंड खड़ा कर देती है. मैं हमेशा ही उसकी नाभि को छ्छूने की कोशिश करता रहता हूँ.

मेरी बड़ी बेहन रेशू: उमर 25, मेरी मा की तरह ही एकदम गोरी फिगर 33-28-34. रेशू दूसरी सिटी में पढ़ती थी और एक नंबर की रांड़ है. उसके बहुत सारे बाय्फरेंड्स है और वो उनसे चुड़वाती रहती है. एक दिन पापा ने रेशू दीदी को उसके 2 ब्फ्ज़ के साथ नंगी सोते देख लिया था. तो वो उसे सिटी से ले आए और अब वो घर पर ही रहती है.

मेरी छ्होटी बेहन हर्शल: उमर 22, एकदम दीपिका पादुकों. मा और रेशू दीदी जितनी गोरी नही है, हल्की सावली है और सारीफ़ भी. फिगर 32-26-32 है. दोनो बहने शॉर्ट्स और टॉप पहन कर रहती हैं. हर्शल मेरे से 1 साल बड़ी है तो मे उसे काई बार दीदी कह कर नही बुलाता.

मेरे दादा जी श्रीचंद: उमर 69, उमर की वजह से बुढ़ापा आ गया है लेकिन आज भी शॉप पर आंड खेत पर काम करने की वजह से हॅस्ट पुस्त है.

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मेरे घर मे बहुत ओपन महुअल है. मेरी मा आंड 2नो बहएने मेरे सामने ही कपड़े बदल लेती है. मेरे पापा ने सबको कुछ भी बोलने आंड पूछने की आज़ादी दी है. मेरी मा आंड बहएने भी गंदी गलियाँ दे लेती है कभी गुस्से मे तो कभी मज़ाक मे.

मेरे दादाजी थोड़े से गुस्से वेल है. वो मेरी मा और बहेनॉ पर कभी गुस्सा नही होते लेकिन मुझ पर और पापा पर छ्होटी छ्होटी बात पर दांते और गलियाँ देते रहते है.

दादाजी की गलिया वही तेरी मा को छोड़ू, तेरी बहें को छोड़ू और तेरी बेटी को छोड़ू जनरली ये ही होती है.

वो मेरी मा बहेनॉ के सामने मुझे गुस्से मे तेरी मा को छोड़ू तेरी बहें को छोड़ू बोल देते है. और मेरी मा बहें इश्स पर कोई रिक्षन नही देती. उन्हे ये गलिया जनरल लगती है और उनको ये सब सुनने की आदत हो गयी है. वो इनको माइंड नही करती और इसीलिए मेरी मा बहनो को भी गली देने की आदत हो गयी है.

मा जनरली हरामी, गन्दू, छूतिए, कुत्ते ये सब गली देती है पर कभी कभी मा बहें भी कर देती है. रेशू जनरली भेंचोड़ भेंचोड़ लगी र्हती है. मई हू पापा हो या दादाजी हो वो कुछ भी होने पर भेंचोड़ भेंचोड़ ल्गी र्हती है.

गाँव मे रहने की वजह से मेरी मा बहेनॉ को घर से बेवजह बाहर जाना अलोड नही है. वो ज्यदा बाहर जाना पसंद भी नही करती. घर के लिए सारा समान पापा ही लाते है. वो मा और बहेनॉ के लिए मेक उप का सामान, कपड़े यहा ट्के की ब्रा पनटी की पापा ही लाते है.

ओपन माइंडेड फॅमिली होने से मेरी बहें खुल के पापा को बोल देती है की पापा मेरी कक़ची (पनटी) फटत गयी है, पापा मेरी बनियान (ब्रा) छ्होटी हो गयी है, 2 नंबर बड़ी ब्रा ले आना वगेरह वगेरह. पापा भी उनकी हर बात मानते है.

पापा खुद ब्रा लाके बहें की ब्रेस्ट्स पर लगाके साइज़ चेक कर लेते है और बोल भी देते है की बेटा पहें के देख ले छ्होटी बड़ी हो तो बदल के ले अवँगा. और दीदी भी पापा को पहनकर साइज़ दिखा देती है.

बात तबकि है जब मैं 18 साल का था. मैं मम्मी पापा के ही कमरे में सोता था. मम्मी पापा बेड पर और मैं एक चारपाई पर सोता था.

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मम्मी पापा रोज़ रात मे चुदाई करते थे और मम्मी की छूट और उनके मूह से निकलती हुई सेक्सी आवाज़ो से मेरा लंड खड़ा हो जाता था. और मई हमेशा मम्मी की चुदाई देखते हुए मूठ मरता था. जेसे ही वो दोनो चुदाई पूरी करके सो जाते थे तब बातरूम मे जाके अपना मूठ निकाल देता था.

तो एक रात करीब 1 बजे मुझे उईईइ उईईई की आवाज़ सुनाई दी और मैं जाग गया. मेने मूड के देखा तो पापा मम्मी के उपर थे और मम्मी को छोड़ रहे थे, दोनो पूरी तरह से नंगे थे.

वो दोनो मिशनरी पोज़िशन में थे, मम्मी के पैर फेले हुए थे. मुझे मम्मी की छूट दिखाई दे रही थी और पापा उसमे अपना लंड पेल रहे थे. मेने रोज़ की तरह ही अपना लंड निकाला और मम्मी को चुदाई देख हिलने ल्गा. पापा मा को छोड़ते हुए बाते कर र्हे थे…

पापा: विंद्रा मेरी रांड़ कितनी गर्मी है तुझ मे. तुझे शादी से लेके आब तक हज़ारो बार छोड़ा है फिर भी तेरी छूट उतना ही मज़ा देती है मेरी रानी.

मम्मी: आपका लोड्‍ा मेरी छूट मे पूरा फिट बैठता है. हम दोनो एकद्ूम पर्फेक्ट कपल है. आप मेरी इतनी मस्त चुदाई करते हो हर बार मुझे गरम कर देते हो आह उउ ईईईई छोड़ो.. तोड़ा उँचा उछाल उछाल के पेलो ना, मेरी फुददी मे धक्के मारो मेरे फुड़दू. आह भेंचोड़… आप बहुत अछा छोड़ र्हे हो, लगाओ धक्के उम्म्म्म आह..

पापा: ह्म्‍म्म्म… ले छिननल खा धक्के खा मेरा लंड तेरी भोसड़ी मे. तुझे गली देके रंडियो की तरह पेलने मे कितना मज़ा आता है ना विंद्रा. तू सच मे किसी धंधे वाली रांड़ से कम नही है कुटिया. भेंचोड़ साली गली सुनके और गरम होती है तू बदचलन औरत.

मम्मी: हा बेटीचोड़ छोड़ो मुझे. मुझे भी आपके मूह से रंडी सुनने आंड गाली सुनने मे बड़ा मज़ा आता है. गली देने से आप एक अलग ही लेवेल से छोड़ते हो जैसे किसी रांड़ को ही छोड़ र्हे हो. गली देने से ही आपको एनर्जी मिलती है और मेरी छूट मे आतंक मचा देते हो आप अहह अहह अहह…

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