‘कमाल लाते हो रहा है.’ चाची ने कमरे के अंदर आते हुए कहा जब कमाल उनकी बहें को बेड पर झुका कर छोड़ रहा था. और उनकी मम्मी भी पीच्चे पीच्चे आ गयी.
‘यह तकता नहीं क्या?’ माजी ने मुस्कुराते हुए कहा.
‘थके इससे चूड़ने वालियान, यह तो थकाने वालों में से है.’ चाची ने जवाब दिया.
‘अब बस भी कर, क्या आज ही प्रेग्नेंट करेगा मेरी बहें को.’ चाची ने फिर से ताना मारा.
‘आ, करने दो ना दीदी, ना जाने दुबारा कब आप कमाल को अपने साथ लेकर आओगे. उफ़फ्फ़ मुम्मय्यययी…’
‘फिर बोली इसके लंड की दीवानी.’ चाची ने कहा और उनकी मम्मी और वो दोनो हासणे लगी.
‘बस चाची हो गया.’ कमाल ने उनकी बहें की छूट में झटके मार कर लंड का पानी छ्चोड़ते हुए कहा.
‘चल हमे रिक्शा भी करनी है, बस छ्होट जाएगी.’ चाची ने कहा और अपनी मम्मी से गले मिल कर बाहर जाने लगी.
‘ध्यान रखना अपना बेटी.’ माजी ने चाची से कहा.
‘चलता हू माजी.’ अपनी पेंट की ज़िप बंद करते हुए कमाल ने कहा.
‘दुबारा जल्दी आना बेटा, तुम्हारा इंतज़ार रहेगा.’ कहकर उन्होने कमाल को एक लीप किस दी और हाथ मे 10,000/- रख दिए.
‘यह किस लिए माजी.’
‘मेरा प्यार समझ कर रख ले बेटा. ज़्यादा नहीं है.’ कह कर उन्होने पेंट के उपर से मेरा लंड सहला दिया.
‘थॅंक योउ बेटा, मेरी बेटिइ को मा बनाने के लिए. तूने उसे बांझ होने के बंधन से मुक्त कर दिया.’ कहते हुई माजी एमोशनल हो गाइइ.
‘क्या आंटी, आप भी ना. वो मेरी चाची भी तो है.’ कहते हुई कमाल ने उन्हे गले लगा लिया.
‘मेरी गूदबयए किस.’ पीछे से छ्होटी ने कहा. वो अभी भी बिना सलवार और पनटी के सिर्फ़ कुर्ता पहने खड़ी थी.
‘यह देखो बेशर्मी की दुकान.’ माजी ने कहा.
थोड़ी ही देर मे दोनों को रिक्शा मिल गयी और वो बस स्टॅंड पहुँच गये. उनकी बस लग चुकी थी. कमाल ने सीट्स कन्फर्म की और सामान बस मे रखवा दिया.
फिर उसने चाची को सपोर्ट दिया और वो स्लीपर बर्त पर चढ़ गयी. कमाल फिर बाहर से कुच्छ कोल्ड ड्रिंक्स और स्नॅक्स लेकर आया और बर्त पर चढ़ कर काँच बंद कर लिया. बस निकल पड़ी. अभी 8 बजे है और वो कल सुबह 8 से 9 बजे तक अपने शहेर पहुँच ने वाले थे.
‘कैसा रहा तेरा ट्रिप?’ चाची ने बात शुरू करते हुई कहा.
‘मस्त, बहुत मज़ा आया. थॅंकआइयू सो मच मुझे अपने साथ लाने के लिए.’ कह कर कमाल ने चाची के बूब्स स्क्वीज़ कर दिए और एक हल्की सी किस भी डी.
‘सच कहूँ तो तेरे मिलने से पहले तक तो आएसा लग रहा था की, क्या होगा मेरा? तेरे चाचा तो बस काम काम और काम.’
‘कोई ना चाची, अब तो मैं हू.’ कमाल ने कहा.
‘ह्म, वेसए मेरे घर आना तुझे अक्चा तो लगता है ना.’
‘अक्चा नही, बहुत अक्चा लगता है. आपकी मम्मी और बहें दोनो सुपर्ब हैं.’
‘हन, तेरे आने से उन्हे भी खुशी मिलती है.’
बात करते हुई हम दोनो ने अपने अपने कपड़े उरत दिए और चदडार लेकर सो गये.
‘चाची आज की सुबह हमेशा याद रहेगी. सच मे बहुत मज़ा आया.’
‘ह्म, मज़ा क्यू नही आएगा, तीनो मा बेटी एक साथ छोड़ने को जो मिल गयी.’
कहते हुई चाची ने लीप किस देना शुरू कर किया की तभी चाची का मोबाइल बजा. चाची ने मोबाइल लेने के लिए हाथ उठा कर अपने पर्स मे डाला. कमाल हल्का नीचे होते हुई उनके बूब्स मो मूह मे भर कर चूसने लगा.
‘तेरे चाचा का कॉल है.’
पर कमाल ने कोई ध्यान नहीं दिया और अपने काम मे लगा रहा.
‘हेलो’
‘हन, कमाल सो गया है.’
‘हन, वो कल रात हम साबने बातें करने मे निकल दी, और दिन में भी शॉपिंग करने चली गयी थी. वो साथ ही था तो उसे आराम करने का टाइम ही नही मिला, इसलिए बस मे आते ही सो गया.’
‘हा हा कहो. वो तो सो रहा है.’
‘अक्चा जी, जनाब का लंड सलामी दे रहा है.’
कहते हुई चाची ने एक हाथ नीचे किया और कमाल का लंड पकड़ा और उसे मुट्ठी मे भर कर सहलाने लगी.
‘हब मैं पास मे होती हू तो आपको काम के साइवा कुछ नहीं दिखता. चार दिन के लिए अपनी मम्मी के पास क्या गयी, सामने से फोन कर रहे हो.’
‘हा बाबा, कल आ रही हू, तब जी भर के छोड़ लेना.’
‘ओक, गुड नाइट.’ और चाची ने फोन रख दिया.
‘उनका जी भर के भी 5-7 मिनिट से ज़्यादा नहीं होता.’ चाची ने कमाल के सिर पर हाथ फेरते हुई कहा. कमाल ने उपर देखा और उनकी आँखें टकरा गयी.
‘ई लोवे योउ कमाल.’ इतना कहा और कमाल का माता चूम लिया.
कमाल बूब्स चूस्ता रहा और चाची उसके सिर पर हाथ घुमाती रही. कुछ मिनिट मे दुबारा फोन की घंटी बाजी.
‘अब किस को याद आ गयी.’ चाची ने फोन हाथ मे उठाते हुई कहा. फिर कॉल रिसीव करके कान पर लगा लिया.
‘हन मम्मी.’
‘हन, बस निकल गयी.’
‘मेरा दूध पी रहा है.’
‘हन, पहुच कर कॉल कर दूँगी.’
‘ह्म.’
‘चाची, आज की रात ही है हुमारे पास.’ कमाल ने सिर उठाते हुई कहा.
‘हन मेरे राजा पता है मुझे, पर तू ज़ोर से नहीं करेगा. जितना ज़ोर लगाना था, तूने मम्मी और छ्होटी पर लगा लिया.’
‘कोशिश करूँगा.’
‘नही अगर कोशिश ही करेगा तो रहने दे, मैं तेरे बाकछे को खोना नही चाहती. एक तो तेरा मूसल इतना बड़ा है, ना बाबा कहीं कुछ हो गया तो?’
‘ठीक है, धीरे ही करूँगा पक्का प्रॉमिस.’
‘एक काम कर तू आयेज से कर ही मत पीछे से कर ले.’
जैसे तैसे चाची मानी और कमाल ने रात भर मे करीब 5 बार उनकी चुदा करी. घर जाकर इतनी आज़ादी कहाँ मिलने वाली थी.
‘आ गये तुम दोनों.’ कमाल की मम्मी ने दरवाज़ा खोलते हुई कहा.
‘जी भाभी, आ गये.’ चाची ने अपनी जेठानी के पैर छ्होटे हुई कहा. कमाल रिक्शा से सामान उतार रहा था.
‘आजा अंदर. मैं चाय बनाती हूँ, तू फ्रेश हो जेया.’ दोनो अंदर चली गयी और कमाल भी सामान लेकर अंदर आया और गाते बंद करके सीधे अपने रूम मे चला गया.
करीब 15 मिनिट बाद जब वो बाहर आया तो उसकी चाची और मम्मी डिन्निंग टेबल पर चाय पी रही थी.
‘आजा बेटा, चाय ठनदीी हो रहिी है.’ कहते हुई मम्मी ने कमाल को चाय की तरफ इशारा किया.
‘मम्मी तो कह रहिी थी कमाल को और कुच्छ दिन यही रहनी दे, पर मैं ही नहीं मानी और कहा की मेरा मॅन नहीं लगता मेरे बेटी की बिना, इसके बिना मैं भी नहीं जवँगी.’ कहते हुई चाची कमाल की तरफ देखने लगिइ.
‘सच ही है, जानम मैने दिया है इसे, पर मुझसे ज़्यादा तो यह तुझसे प्यार करता है. मैं देवकी और तू यशोदा.’ इतना कहा और दोनो खुशी से मुस्कुराने लगिइ.
अचानक कमाल का फोन बजा. देखा तो चाची मी मम्मी का था. कमाल ने कॉल रिसीव किया…