चोटे भाई ने चोदा

मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास इन्कर्ेसए कर रहिति. कुच्छ देर बाद मैने ज़बरदस्ती उसका मुँह लेफ्ट चूचि से हटाया और रिघ्त चूचि की तरफ़ लाते हुवे बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोइनो मैं बराबर का मज़ा होता है
उसने रिघ्त मम्मे को भी ब्लौसे से बाहर किया और उसका निपपले मुँह मैं लेकर चुभलने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ्ट चूचि को सहलने लगा. कुच्छ देर बाद मेरा मनन उसके गुलाबी हूँतो को छूमे को करने लगा तू मैने उससे कहा, “कभी किसी को क़िसस किया है “नही दीदी पैर सुना है की इसमे बहुत मज़ा आता है.

“बिल्कुल ठीक सुना है पैर क़िसस ठीक से करना आना चाहिए.”
“कैसे?”
उसने पूछा और मेरी चूचि से मुँह हटा लिया. अब मेरी दोनो चूचियाँ ब्लौसे से आज़ाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैने उन्हे छ्छूपाया नही बल्कि अपना मुँह उसके मुँह के पास लेजाकर अपने हूनत उसके हूनत पैर रख दिए फिर धीरे से अपने हूनत से उसके हूनत खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी क़रीब दो मिनुटे तक उसके हूनत चूस्ती रही फिर बोली.
“ऐसे.”
वह बहुत एक्शसीतेड हो गया था. इससे पहले की मैं उसे बोलूं की वह भी एक बार्किस्स करने की प्रकटिसे कर ले, वह ख़ुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूँ आपको एक बार?” “कर ले.” मैने मुस्कराते हुवे कहा.

अमित ने मेरी ही स्टयले मैं मुझे क़िसस किया. मेरे हूँतो को चूस्ते समय उसका सीना मेरे सीने पैर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दोगुनी हो गयी थी. उसका क़िसस ख़तम करने के बाद मैने उसे अपने ऊपर से हटाया और बानहो मैं लेकर फिर से उसके हूनत चूसने लगी इस बार मैं तोड़ा ज़्यादा जोश से उसे चूस रही थी. उसने मेरी एक चूचि पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था. मैने अपनी कमर आगे करके छूट उसके लंड पैर दबाई. लंड तू एकदम तनकर ईरों रोड हो गया था. छुड़वाने का एकदम सही मौक़ा था पैर मैं चाहती थी की वह मुझसे छोड़ने के लिए भीख मांगे और मैं उसपर एहसान करके उसे छोड़ने की इज़ाज़त दूं.
मैं बोली, “चल अब बहुत हो गया, ला अब तेरी मूट मार दूं.” “दीदी एक रेक़ुएस्ट करूँ?” “क्या?” मैने पूच्हा. “लेकिन रेक़ुएस्ट ऐसी होनी चाहिए की मुझे बुरा ना लगे.”
ऐसा लग रहा था की वह मेरी बात ही नही सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है वह बोला, “दीदी मैने सुना है की अंदर डालने मैं बहुत मज़ा आता है डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी. मैं भी एक बार अंदर डालना चाहता हूँ.”
“नहीं अमित तुम मेरे छ्होटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन.” “दीदी मैं आपकी लूंगा नही बस अंदर डालने दीजिए.” “अरे यार तू फिर लेने मैं क्या बचा.” “दीदी बस अंदर डालकर देखूँगा की कैसा लगता है छोदुँगा नही प्लेआसए दीदी.”
मैने उसपर एहसान करते हुवे कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिए मैं तुम्हारी बात को माना नही कर सकती पैर मेरी एक शर्त है तुमको बताना होगा की अक्सर ख़्यालो मैं किसकी छोड़ते हो?” और मैं बेद पैर पैर फैलाकर चित्त लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा. वह बैठा तू उसके प्यजमा के ज़रबंद को खोलकर प्यजमा नीचे कर दिया. उसका लंड तनकर खड़ा था. मैने उसकी बाँह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लीयता लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनो और कोहनी पैर आ गया. वह अब और नही रुक सकता था. उसने मेरी एक चूचि को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लौसे से बाहर थी. मैं उसे अभी और छ्छेड़ना छाती थी. “सुन अमित ब्लौसे ऊपर होने से चुभ रहा है ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे संटरे ढांप दे.” “नही दीदी मैं इसे खोल देता हूँ.” और उसने ब्लौसे के बुट्तों खोल दिया. अब मेरी दोनो चूचिया पूरी नंगी थी. उसने लपककर दोनो को क़ब्ज़े मैं कर लिया. अब एक चूचि उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था. वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैने अपना पेट्टीकोत ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली छूट पैर रग़ादना शुरू कर दिया. कुच्छ देर बाद लंड को छूट के मुँह पैर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने खर्बूजे पैर रख दिया है पैर अंदर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू बहुत दिन से छोड़ना चाहता है और जिसे याद करके मूट मारता है
वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने हूनत मेरे हूनत पैर रख दिए मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके हूनत चूसने लगी कुच्छ देर बाद मैने कहा, “हाँ तू मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनो की रानी कौन है
“दीदी आप बुरा मत मानिएगा पैर मैने आज तक जितनी भी मूट मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालो मैं रखकर.”
“हाय भय्या तू कितना बेसरम है अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था.” “ओह् दीदी मैं क्या करूँ आप बहुत ख़ूबसूरत और सेक्ष्य है मैं तू कब से अप्पकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी छ्होट मैं लंड डालना चाहता था. आज दिल की आरज़ू पूरी हुई.” और फिर उसने शरमकार आँखे बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी छूट मैं डाला और वादे के मुताबिक़ चुपचाप लेट गया.
“अरे तू मुझे इतना चाहता है मैने तू कभी सोचा भी नही था की घर मैं ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है पहले बोला होता तू पहले ही तुझे मैका दे देती.” और मैने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलनी शुरू कर दी. बीच-बीच मैं उसकी गांड भी दबा देती.

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