चोटे भाई ने चोदा

मेरा नाम आशा है मेरा छ्होटा भाई दासवी मैं पढ़ता है वह गोरा चित्ता और क़रीब मेरे ही बराबर लंबा भी है मैं इस समय 19 की हूँ और वह 15 का. मुझे भय्या के गुलाबी हूनत बहुत प्यारे लगते हैं दिल करता है की बस चबा लूं. पापा गुल्फ़ मैं है और माँ गोवेर्नमेंट जॉब मैं माँ जब जॉब की वजह से कहीं बाहर जाती तू घर मैं बस हम दो भाई
बहन ही रह जाते थे. मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है एक बार माँ कुच्छ दीनो के लिए बाहर गयी थी. उनकी एलेक्टीओं दूत्य लग गयी थी. माँ को एक हफ़्ते बाद आना था. रात मैं दिननेर के बाद कुच्छ देर ट्व देखा फिर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिए चले गाये

क़रीब एक आध घंटे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी अपनी सीदे तबले पैर बोट्थले देखा तो वह ख़ाली थी. मैं उठकर कित्चें मैं पानी पीने गयी तू लौटते समय देखा की अमित के कमरे की लिघ्ट ओं और दरवाज़ा भी तोड़ा सा खुला था. मुझे लगा की शायद वह लिघ्ट ओफ़्फ़ करना भूल गया है मैं ही बंद कर देती हूँ. मैं चुपके से उसके कमरे मैं गयी लेकिन अंदर का नज़ारा हैरान मैं हैरान हो गयी
अमित एक हाथ मैं कोई द पकड़कर उसे पार् रहा था और दूसरे हाथ से अपने ताने हुए लंड को पकड़कर मूट मार रहा था. मैं कभी सोच भी नही सकती की इतना मासूम लगने वाला दासवी का यह छ्ोक्रा ऐसा भी कर सकता है मैं दूं साढ़े चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया. उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाज़े पैर मुझे खड़ा हैरान चौंक गया. वह बस मुझे देखता रहा और कुच्छ भी ना बोल पाया. फिर उसने मुँह फैर कर द टाकिएे के नीचे छ्छूपा दी. मुझे भी समझ ना आया की क्या करूँ. मेरे दिल मैं यह ख़्याल आया की कल से यह लड़का मुझसे शरमायगा और बात करने से भी कत्राएगा. घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नही जिससे मेरा मनन बहालता. मुझे अपने दिन याद आए. मैं और मेरा एक काज़ीन इसी उमर के थे जबसे हमने मज़ा लेना शुरू किया था तू इसमे कौन सी बड़ी बात अगर यह मूट मार रहा था.
मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पैर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी वह चुपचाप रहा. रहा. मैने उसके कंधों को दबाते हुए कहा, “अरे यार अगर यही करना था तू काम से काम दरवाज़ा तू बंद कर लिया होता.” वह कुच्छ नही बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किए रहा. रहा. मैने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया. कोई बात नही मैं जाती हूँ तू अपना मज़ा पूरा कर ले. लेकिन ज़रा एह द तू दिखा.” मैने टाकिएे के नीचे से द निकल ली. एह हिंदी मैं लिखे मास्ट्रँ की द थी. मेरा काज़ीन भी बहुत सी मास्ट्रँ की किताबे लता था और हम दोनो ही मज़े लेने के लिए साथ-साथ पढ़ते थे. छुड़ाई के समय द के ड्िओलग बोलकर एक दूसरे का जोश बढ़ते थे.
जब मैं द उसे देकर बाहर जाने के लिए उठी तू वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तू आपने ख़राब कर दिया, अब क्या मज़ा करूँगा.” “अरे अगर तुमने दरवाज़ा बंद किया होता तू मैं आती ही नही.” “औुए अगर आपने देख लिया था तू चुपचाप चली जाती.”
अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तू आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह काज़ीन क़रीब 6 मोन्तस से नहीं आया था इसलिए मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी. अमित मेरा छ्होटा भाई था और बहुत ही सेक्ष्य लगता था इसलिए मैने सोचा की अगर घर मैं ही मज़ा मिल जाए तू बाहर जाने की क्या ज़रूरत. फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था. मैं कुंवारे लंड का मज़ा पहली बार लेती इसलिए मैने कहा, “चल अगर मैने तेरा मज़ा ख़राब किया है तू मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ.” फिर मैं पलंग पैर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुरझाए लंड को अपनी मुती मैं लिया. उसने बचने की कोशिश की पैर मैने लंड को पकड़ लिया था. अब मेरे भाई को यक़ीन हो चुका था की मैं उसका राज़ नही खोलूँगी इसलिए उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लंड ठीक से पकड़ सकूँ. मैने उसके लंड को बहुत हिलाया दुलाया लेकिन वह खड़ा ही नही हूवा. वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नही हो रहा है
“अरे क्या बात करते हो. अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है मैं अभी अपने प्यारे भाई का लंड खड़ा कर दूँगी.” ऐसा कह मैं भी उसकी बगल मैं ही लेट गयी मैं उसका लंड सहलने लगी और उससे द पर्ने को कहा. “दीदी मुझे शरम आती है “साले अपना लंड बहन के हाथ मैं देते शरम नही आई.” मैने ताना मारते हुवे कहा “ला मैं परहती हूँ.” और मैने उसके हाथ से द ले ली. मैने एक स्टोरय निकली जिसमे भाई बहन के डियलोग थे. और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला. मैने पहले परा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तू बहुत पी लिया अब अपना बनाना शाके भी तू टास्ते करओ.”
“अभी लो रानी पैर मैं डरता हूँ इसलिए की मेरा लंड बहुत बड़ा है तुम्हारी नाज़ुक कसी छूट मैं कैसे जाएगा.”
और इतना पारकर हुंदोनो ही मुस्करा दिए क्योंकि यहा हालत बिल्कुल उल्टे थे. मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी छूट बड़ी थी और उसका लंड छ्होटा था. वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी परहाय के बाद ही उसके लंड मैं जान भर गयी और वह टन्णकर क़रीब 6 इंच का लंबा और 1.5 का मोटा हो गया. मैने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई ज़रूरत नही. देख अब तेरा खड़ा हो गया है तू बस दिल मैं सोच ले की तू किसी की छोड़ रहा है और मैं तेरी मूट मार देती हूँ.” मैं अब उसके लंड की मूट मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था. बीच बीच मैं सिसकारियाँ भी भरता था. एकाएक उसने छूटड़ उठाकर लंड ऊपर की ऊर तेला और बोला, “बस दीदी” और उसके लंड ने गाढ़ा पानी फैंक दिया जो मेरी हथेली पैर गिरा. मैं उसके लंड के रस को उसके लंड पैर लगती उसी तरह सहलती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया?”

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