Ma ko Uncle ne Choda : Hot sexy mast erotic story in hindi, Ghar me chudai, Chacha ne meri mo ko choda sex kahani in hindi, read online very popular sex story
दोस्तों, आप सभी को राजन का बहुत बहुत नमस्कार! मैं अपनी सच्ची घटना आपको बताना चाहता हूँ। बात उन दिनों की है जब मेरे पापा बेरोजगार थे। पढाई पूरी होने के बाद भी उनकी नौकरी नही लगी थी। वो बहुत परेशान रहते थे। उन दिनों मेरे पापा के पास साइकिल भी नही थी। पास पैसे भी ना थे। इसलिए वो पैदल पैदल ही हर जगह जाते थे। इसी गरीबी में उनकी शादी हो गयी। मेरी माँ बेहद खूबसूरत औरत थी। वो खूबसूरती का अनमोल नागिना थी।
मेरी माँ को पहली नजर में देखते ही मेरे पापा ने उनको पसंद कर लिया। पर वो मेरी माँ को ढंग से चोद ना पाए। इसकी वजह थी पैसे की कमी और गरीबी। मेरे पापा आये दिन बस परेशान रहते थे। वो पैसा कमाने के लिए टेम्पररी ट्यूशन पढने लगे। पर साइकिल ना होने के कारण वो पैदल ही पैदल जाते थे। मेरे पापा सुबह 5 बजे निकलते थे तो रात 10 बजे घर लौटते थे। मेरी जवान माँ अपनी किस्मत को कोसती थी की इतनी खूबसूरत होने पर भी ना तो कोई उनके रूप की प्रसंशा करने वाला था, और ना ही कोई उनको चोदने खाने वाला था।
वो सुबह उठकर मेरे पापा के लिए खाना बना देती और फिर पूरा दिन सिर्फ इंतजार करती रहती। दोस्तों उन दिनों सिर्फ डी डी 1 आता था। टीवी खरीदना बड़ी बात थी। मेरे पापा तो पहले से ही गरीब थे, तो टीवी कहाँ से खरीदते। मेरी माँ सारा दिन या तो स्वेटर बुनती थी या अख़बार पढ़ती थी। वो कितने अरमान करती थी की अगर दोपहर में उसके हस्बैंड यानि मेरे पापा कमरे में होती तो क्या क्या होता।
वो मेरी माँ को बाँहों में भर लेते। उनके रसीले ऊँठ चूमते। उनके दूध भरे चुचुक पीते और उनको गिराकर चोदते खाते भी। पर दोस्तों, मेरी माँ के लिए तो ये सब बस सपने ही थे। उनके आदमी बेरोजगार था और नौकरी ढूंढ रहा था। मेरी माँ की जवानी यूँ ही बेकार जा रही थी।
हाय हाय ये मजबूरी!
ये मौसम और ये दुरी!
मुझे पल पल है तड़पाये!
तेरी दो टकये की नौकरी में मेरा लाखों का सावन जाए!
बस दोंस्तों, बस यही हाल था। पास पड़ोस कभी कभी मेरी जवान माँ किसी पड़ोसन ने बात करके वक़्त बिताती थी।
मेरी माँ जी बोरिंग जिंदगी में ट्विस्ट जब आया जब मेरा चाचा मेरे पापा के घर रहने आया। मेरे दादा ने मेरे पापा से कहा कि बड़े होने के नाते मेरे चाचा को वो पढ़ाये लिखाये और नौकरी लगाने में मदद करे। अब मेरी माँ घर पर अकेली नही थी। मेरा चाचा जो बस 25 साल का बाका जवान छोरा था, मेरी जवान 18 साल की माँ के पास रहने आ गया। वो बड़ा जिम्मेदार आदमी था। मेरे पापा के लिए सरकारी नल से सैकड़ों बाल्टी पानी भर के लाता था।
सुबह ही मंडी जाकर सस्ते रेट पर सब्जी लाता था। मेरी पापा, मेरी माँ के कपड़े धोता था। मेरी पापा के जूतों पर पोलिश करता था। वो बड़ा जिम्मेदार आदमी थी। उसका नाम मनोज था। मेरे पापा के बाहर जाने के बाद वो नहाता था। नहाते समय मेरी माँ मेरे चाचा के कसरती बदन को देखती थी तो मन ही मन सोचती थी की कास उसका देवर मनोज ही उनका मर्द होता। माँ मेरे चाचा को खाना देती थी तो मनोज के सौंदर्य को निहारती थी बड़ी देर तक।
बड़ी बड़ी आँखे, सुन्दर गुलाबी लब, बड़ा था पान के आकार का गोरा चेहरा, 7 फिट ली लम्बाई। धीरे धीरे मेरी माँ मेरे चाचा मनोज को देखकर आसक्त हो गई। वो दूर बैठकर स्वेटर बुनती रहती और मनोज को ताड़ा करती। एक दिन मेरी माँ ने मनोज के चित्र बनाया और बाथरूम में जाकर उसकी तस्वीर को देखते हुए खुद अपनी रसीली छातियां पिने लगी और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। जब मेरा चाचा कुछ देर बाद बाथरूम गया तो उसे उसकी तस्वीर वहां मिली।
मेरा चाचा दंग रह गया। उनकी भाभी उसको इतना पसंद करती है कि उसकी फोटो देखकर मुठ मार रही थी। धीरे धीरे मेरी 18 साल की जवान माँ चदासी हो गयी। मेरा बाप जब 10 बजे घर पहुँचता था तो खाना खाकर सो जाता था। मेरी माँ की चुदवाने की आस अधूरी रह जाती थी। दोंस्तों, 18 साल में तो हर लौण्डिया चुदासी होती है, अगर मेरी माँ किसी से चुदवाना चाहती थी तो क्या गलत कर रही थी। मेरी नानी जब हाल चाल लेती थी तो मेरी माँ कह भी नही पाती थी कि उसको लण्ड तो खाने को मिलता ही नही है।
मेरी माँ कभी कभी अपना दुःख पड़ोसिन औरतों से कहती थी। 18 साल के उभरते यौवन में मेरी माँ के मादक जिस्म में चुदाई वाले हार्मोन्स भी बहुत बन रहे थे, इसलिये मेरी माँ किसी भी कीमत पर एक हट्टा कट्टा लण्ड लेना चाहती थी। धीरे धीरे मेरी माँ जान गई की मेरा चाचा मनोज ही उसकी चूदवाने की तलब दूर कर सकता है। मेरी माँ अब मौका मिलने पर अपना करारा कड़क जिस्म अपने मेरे चाचा को दिखा।देती।थी। जब मेरा चाचा पढ़ने बैठता था, मेरी माँ पोछा लगाने पहुँच जाती थी। वो झुक झुक पर पोछा लगाती थी तो उनके मदमस्त चुचुक ब्लॉउज़ से दिख जाते थे।