मेरी बीवी करीब 22 साल की, बहुत सुन्दर, पढ़़ी लिखी और भोली भाली महिला है और मैं अक्सर चुदाई के बीच सोचता रह जाता हूँ कि काश उसे कोई और चोद रहा हो और मैं उसे चुदता देखूँ।
धीरे धीरे पता नहीं कब यह ख्वाहिश इतनी मजबूत हो गई कि मैं रात दिन इसी प्लानिंग में लगा रहता। डरता भी था कि कैसे हो कि
मेरी शादीशुदा जिन्दगी भी बनी रहे मैं उसे इतना प्यार भी तो करता हूँ।
बलवीर से मिला तो पहली ही नजर में लगा कि यह आदमी मेरे काम का है। सारा प्लान भी मेरे दिमाग में शीशे की तरह साफ था, बलवीर को बताया कि मैं अपनी बीवी को उससे चुदवाना चाहता हूँ ऐसे कि उसे शक भी ना हो। वो तो हैरान रह गया।
उसे विश्वास ही न हो कि मैं सच में अपनी बीवी को उससे चुदवाना चाहता हूँ। वो तो मैंने उससे मिलने का टाइम तय किया, उससे मिला और उसे यकीन दिलाया तब कहीं जा कर वह राजी हुआ।
मैंने एक डिटेल्ड प्लान बना कर, अपने मकान की लोकेशन, कमरे कितने हैं और कैसे कैसे वगैरह वगैरह, सब कुछ उसे अच्छे से समझा दिया।
दो दिन बाद रविवार था, सुबह दस बजे मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं नाश्ते के लिये जलेबियाँ लेकर आता हूँ और लौटते हुए बलबीर को साथ लेता आया। मेरा घर पहली मंजिल पर है और प्लान के अनुसार मैंने सीढ़ियों के नीचे एक कैमरा, एक रोल रस्सी और एक नकली पिस्टल, जो दिखने में बिल्कुल असली लगती थी, छुपा कर रख दी थी। बलबीर ने गन मेरी कनपटी पर रखी, मुझे धकियाते हुए लाया, और घर में आते ही दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया, बोला- खबरदार ! जो कोई आवाज बाहर निकाली। मुझे यहाँ छुपना है क्योंकि मेरे पीछे पुलिस पड़ी है, बस थोड़ी देर की बात है, तुम्हारी खैरियत इसी में है कि जैसा मैं कहूँ वैसा ही करो वरना !’
और बलबीर हमें ले कर बैडरूम में आ घुसा। रत्ना मेरी पत्नी, मुझे सवालिया नजरों से देख रही थी।
मैंने उसे बताया कि मैं जलेबियाँलेकर जैसे ही सीढि़यों पर आया, इसने गन मेरी कनपटी पर रख दी और जबरदस्ती अन्दर घुस आया…और बलबीर से बोला- देखो, तुम जब तक चाहो, यहाँ रहो, हम ना शोर मचाएंगे, ना किसी को कुछ कहेगें’
‘ठीक है, मगर मैं तुम्हारे हाथ बांधूगा जिससे तुम कोई चालाकी ना कर सको’
‘मेरे पति को मत बाँधो, प्लीज ! ये कुछ नहीं करेंगे’ रत्ना सचमुच घबरा गई।
बलबीर ने मेरी पत्नी को डाँट कर चुप करा दिया और मेरे दोनों हाथ रस्सी से पीठ पीछे बांध दिये। मेरी पत्नी से बोला- अब तुम अपने कपड़े उतारो !’
‘ये क्या बकवास है?’, मुझे बोलना पड़ा।
‘जैसा कहता हूँ, करती जा, वरना अच्छा नहीं होगा’, बलवीर ने मेरी बात को अनसुना कर दिया।
‘मगर आपने तो केवल शोर मचाने को मना किया था’, मेरी पत्नी बोली।
‘मैं ये सब तो अपनी सेफ्टी के लियेकर रहा हूँ, तुम्हारे साथ कोई ऐसा वैसा काम नहीं करूंगा। जल्दी करो नहीं तो इसे अभी गोली मारता हूँ।’
मेरी पत्नी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने लाचारी दिखाते हुए तुरन्त गरदन हिला कर उसे बलवीर की बात मान लेने को कह दिया। अपनी पत्नी रत्ना के बारे में बता दूँ, अभी पच्चीस साल की है, हाइट 5 फुट 3 इंच और 34-24-36 का जानदार फिगर। उस दिन कुर्ता शलवार डाले हुये थी। हिचकिचाते हुये, उसने कुर्ते के नीचे हाथ लाकर नाड़े की गांठ खोली, शलवार हिप्स पर से नीचे खिसकाई और टांगों में से बाहर निकाल दी। इसके बाद उसने अपनी कुर्ती को भी ऊपर किया और गले से बाहर निकाल दिया। अब उसके शरीर पर सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैण्टी ही बची, वह अधनंगी हो चुकी थी।
बलवीर की आंखों में चमक देख, उसके दोनों हाथ जैसे अपने आप उठे और कुहनियों से मुड़ कर खुले बदन को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगे। बलवीर कैसे मानता, ‘ये हाथ तो हटाओ…बिल्कुल सीधे करो’,
रत्ना का सिर अभी भी झुका हुआ था और बदन शर्म संकोच से दोहरा हुआ जा रहा था। मगर फिर भी उसे हाथ हटाने पड़े, लम्बी गरदन से नीचे गोरे बदन पर काली ब्रा में कैद उसके सुडौल उरोज, पतली होती गई कमर, जो हिप्स पर फिर से चौड़ी होने लगी थी, काले रंग की मैचिंग पैण्टी, जिसकी इलास्टिक उसके पेट पर ऐसी कस के चिपकी थी कि…नाभि थोड़ी सी और गहरी हो गई थी।
‘इन्हैं भी उतारो’, बलवीर का इशारा ब्रा और पैण्टी की ओर था।
मेरी पत्नी ने ब्रा का हुक खोला और बाहों से सरकाते हुए उतार कर एक तरफ डाल दिया। उसके भरे भरे उरोज आजाद होकर फैले तो जैसे और बड़े हो गये। उन पर हल्के बादामी रंग के घेरांे के बीच गुलाबी रंग की घुन्डियाँभी अब सामने दिख रही थीं। हाथ एक पल को कूल्हों पर टिके, अॅंगूठे पैण्टी के अन्दर गये, इलास्टिक पर अटके और पैण्टी नीचे सरकाते चले गये। अब वह बिल्कुल नंगी थी। उसके चिकने सपाट पेट पर, नाभि से जरा नीचे हल्की हल्की झांटों के बीच से झांकती चूत बहुत प्यारी लग रही थीं। बलवीर ने नजदीक जा कर उसके उभारों पर हाथ रखा तो वह उछल पड़ी।
‘यह क्या कर रहे हो?, तुमने तो कहा था कोई ऐसा वैसा काम नहीं करोगे।’
‘हां, मतलब अगर तुम प्यार से मेरी छोटी छोटी बाकी बातें मानती जाओगी, और मुझे मजा लेने दोगी तो मैं तुम्हारी चूत नहीं मारूंगा।’
खुल्लमखुल्ला चूत का जिक्र सुन मेरी पत्नी तो सन्न रह गई। चेहरा फक्क और मुँह से कोई बात ना निकले। सारा शरीर थर थर कांपने लगा।
‘इतना समझ लो जानी ! हमसे शरमाओगी तो हमें मजा नहीं आयेगा और हम तुम्हैं बिना चोदे छोड़ेंगे नहीं।
बचोगी तभी जब चुदाई से पहले ही हमारा निकलवा दो। बिन्दास बोलो, खुल के और मजे लेने दो हमें। तुम्हारी चूत की हिफाजत खुद तुम्हारे हाथ में है, क्या कहती हो, चुदवाओगी?’
‘अरे यह जैसा कह रहा है मान जाओ, कम से कम इज्जत तो बच जायेगी’, मैंने भी हां में हां मिलाई।
‘बोलो, मैं आपसे चुदवाने को बेताब हो रही हूँ’
‘जी, मैं आपसे चुदवाने को बेताब हो रही हूँ’
‘मतलब?, कुछ अपनी तरफ से भी तो कहो’
‘मुझे चोदिये,…मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दीजिये और खूब जोर से चोदिये।
‘बस…अच्छा दिखाओ तो तुम्हारी है कैसी?’
मेरी पत्नी ने कमर आगे कर, उॅंगलियों से वी बनाते हुए चूत की फांकों को फैलाया तो अन्दर का छेद दिखने लगा। बलवीर ने आगे बढ़ कर अपनी उॅंगली उसी छेद में अन्दर डाल कर तुरन्त बाहर निकाल ली और धयान से देखने लगा।
‘ये तो सूखी पड़ी है। ऐसे ही डलवाओगी?’