एक दिन अचानक से होगयी बीवी की सहेली से सम्भोग Part 2

प्रथम भाग से आगे :

‘रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है!’ कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया..

पेटीकोट नीचे खिसका.. अब उसने अपनी गांड उठाते हुए पेटीकोट को चूतड़ से निकाल दिया.. उफ्फ्फ्फ्फ़.. उसके वो भरे-गदराये चूतड़.. पतली कमर पर टिके हुए वो गोल गोल गोरे चूतड़.. मैंने उन पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को नीचे किया.. और…

रागिनी ने पैंटी नहीं पहनी थी.. मैं तो जैसे पलक झपकाना भूल गया..और मेरी तो आँखे फटी रह गई.. क्या चूत थी.. दो केले के खंभे जैसी जांघों के बीच में गोरी चूत.. एक भी बाल नही.. मुझे मेरी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि यह किसी 35 साल की औरत की चूत है.. उभरी हुई.. और चूत की सिर्फ़ दरार दिखा रही थी..

मेरी बीवी की चूत तो काली होने लगी थी चुदवा चुदवा कर.. लेकिन यह तो जैसे किसी 20 साल की लड़की की कुंवारी चूत मेरे सामने थी..

मैंने जैसा सोचा था उससे कहीं ज्यादा सेक्सी चूत थी.. जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूत को घूरने लगी.. उसने शरमाते हुए सर झुकाया और अपनी चूत को हाथों से ढक लिया। उसकी गुलाबी चूत मुझ से कुछ इंच दूर थी, मैंने धीरे से उसके हाथ हटाये और चूत पर मेरे होंठ रख दिए..

उसके बदन की थरथराहट मैंने महसूस किया… उसके मुँह से.. ओह्ह.. निकला… उसकी चूत से पानी बाहर बह रहा था.. और जैसे ही मैंने उसके पैरों को फैला कर मेरी जीभ चूत की गुलाबी फांक के अन्दर डाली।

‘आह.. ह.ह.ह.ह.हह… सं.ज.ज..ज…य… य..य.य.य… म..त. क..रो…ओह.. हह.ह.ह.ह.. मै..म..र.. जाऊँ..गी..ई..ई…’ मैं उसकी चूत को फैलाकर मुँह से फूँक मार रहा था.. जीभ से उसका रस चूस रहा था..

और वो- हे भगवान्… ये क्या.. हो..रहा.. मुझे… ऐसा पहले..कभी नहीं हुआ..’ वो मेरे चेहरे को और ज्यादा अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी..’संजय.. मत त..ड़..पा..ओ… आह.. उफ़.. स्.स्.स्.स् .स्.स्.स्.स्…’

इधर मेरा लंड मानो मेरा बरमूडा फाड़ कर बाहर निकल आयेगा इस तरह उछल रहा था.. मैंने खड़े हो कर अपना बरमोडा खोल कर उसे नीचे किया अन्दर मैंने अंडरवियर नहीं पहना था. इसलिए मेरा लंड उछल कर एकदम से बाहर निकाल आया और सीधा रागिनी के मुँह के सामने डोलने लगा।

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रागिनी को इस रूप में देख कर मेरा लंड फटा जा रहा था.. उसकी फूली हुई, रस भरी चूत और उसके नितम्ब की मांसलता से मैं बेकाबू हो रहा था… मेरे लंड को इस तरह बाहर आते देख कर अचानक रागिनी के मुँह से निकल गया- बाप रे! कितना लंबा और कितना मोटा है तुम्हारा.. मुझे संगीता ने कभी नहीं कहा कि वो इतना मजा लेती है!’

उसके चेहरे पर आश्चर्य झलक रहा था।

मैंने कहा ‘रानी.. आज तुम भी इसका मजा लो!’

उसने जल्दी से मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और वो उसके सुपारे से घूँघट खोल कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। सुपारा भी बहुत फूल गया था और उसके मुँह से लार टपक रही थी। रागिनी मेरे लंड को बहुत आहिस्ता आहिस्ता सहला रही थी.. उसने मेरी तरफ़ ऊपर देखा और मुस्कुराते हुए उसने सुपारे पर चूम लिया और जीभ निकाल कर सुपारे का स्वाद लेते हुए अपना मुँह खोल कर उसे मुँह के अन्दर लेने का प्रयास करने लगी…

लेकिन यह उसके बस की बात नहीं थी.. फ़िर भी किसी तरह उसने पूरे सुपारे को अपने थूक से गीला कर दिया था… फ़िर किसी तरह उसने सुपारा मुँह के अन्दर ले लिया और अन्दर बाहर करने लगी..
मैंने उसका सर पकड़ कर धक्के लगाने शुरू किए.. मेरे लंड में अब तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था… मैं अपना लावा उसके मुँह के अन्दर ही निकाल दूंगा, ऐसा महसूस हुआ..
लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता था.. मैं मेरे लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसकी जबरदस्त चुदाई करना चाहता था.. अपना सपना आज सच करना था मुझे.

मैंने उसके मुँह से लंड बाहर निकालते हुए कहा- रागिनी.. रुक जाओ… और लंड बाहर निकालते ही मैंने उसके होंठो को चूम लिया.. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया..

वो मेरे कान के पास फुसफुसाई- संजय.. मुझे बेड पर ले चलो.. जहाँ तुम संगीता को ऐसे नंगी कर के प्यार करते हो!’

मैंने उसे बांहों में उठा लिया.. उसका वज़न 50 किलो से ज्यादा ही होगा.. फ़िर भी मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर पटक दिया। बेड पर उसने अपने पैर फैला दिए.. मैंने उसे खींच कर बेड के किनारे पर लिया… उसके पैर नीचे लटक रहे थे.. उसके नितम्ब के नीचे एक तकिया रखा उसकी उभरी हुई चूत और ऊपर हो गई..

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मैं झुका और मैंने उसकी गुलाबी चूत पर फ़िर से अपने होंठ रख दिए.. इतनी प्यारी चूत मैंने आज तक नहीं देखी थी। मैंने अब तक 8-10 कुंवारी चूतों की सील भी तोड़ी है और शादीशुदा की तो गिनती ही मुझे याद नहीं.. लेकिन रागिनी की चूत सबसे अलग थी.. दो बच्चों की माँ की चूत इतनी प्यारी.. मुझे पूरा विश्वास था कि इसकी चूत चोदने में किसी कुंवारी चूत से कम मजा नहीं आएगा…

मैंने उसके पैर फैलाये और नीचे अपने पंजों पर बैठ कर उसके जांघ मेरे कंधे पर रखते हुए अपनी जीभ फ़िर से उसकी रसीली चूत में लगा दी.. स्लर.र.र.प.प.प. . स्लर.र.र.प.प.प की आवाज़ करते हुए मैं उसके बहते हुए नमकीन पानी को चूसते हुए मेरी जीभ की नोंक उसकी चूत में गोल गोल फिरते हुए मथने लगा।

रागिनी अब बहुत गरम हो रही थी.. अपनी चूत को मेरी जीभ से एकदम चिपका रही थी.. तीन-चार मिनट बाद वो चिल्लाई.. ओह्ह.ह.ह.ह. सं.ज ज ज य य य य…ओह्ह..माँ.. तुम सच में बहुत सेक्सी हो.. संगीता.. किस्मत वाली है.. आह्ह.. अब.. डाल दो…ओ.ओ. . और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी..

मैंने पूछा- क्या डाल दूँ..?
उसने कहा- मत सताओ.. मैं जल रही हूँ.. तुम्हारा ये डाल दो मेरी वाली में..’

मैं अब उसे तड़पाना चाहता था.. मैंने कहा- किसमें क्या डालना है? उसका नाम बोलो ना?’
उसने कहा- मुझे शर्म आती है.. मेरे मुँह से गन्दी बात मत कहलवाओ!’
मैंने कहा- यह गन्दी बात है? तुम जब तक नहीं कहोगी मैं कुछ नहीं करूँगा..

और मैं ऊँगली से उसकी चूत के उभरे दाने को दबाते हुए रगड़ने लगा.. चूत फड़कने लगी थी.. मैंने ऊँगली अन्दर डाली और उसकी चूत के अन्दर का ज़ी-स्पॉट को ढूंढ कर उसे कुरेदा..
रागिनी अब रुक नहीं सकती थी.. उसने चीखते हुए कहा..सं.. ज.ज.ज. य.य.य… मुझे मा..र.. डा.लो..गे.. क्या.. आ..आ.आ… करो ना..
मैंने कहा- तुम बोलो जल्दी से..

अब मैंने खड़े हो कर लंड को अपने हाथ में पकड़ा और सुपारे को सहलाते हुए मसलने लगा..

उसने अपने पैर फैलाते हुए चूत का मुँह खोला.. लेकिन मैं खड़ा रहा।

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