यह इंसिडेंट आज से 3 साल पहले हुआ था. मैं 22 साल का हूं, और मेरी हाइट 6 फुट 4 इंच है और देखने में एक एवरेज लड़का जैसा हूं मेरी बॉडी भी अच्छी है. मैं मुंबई का रहने वाला हूं.
मेरे घर के बगल में एक भाभी रहती है जिनका नाम स्वर्णा है. उनकी एज 26 साल है, रंग स्वर्ण है और उनका फिगर ३४-२८-३२ होगा. वह बहुत स्लिम है. उनकी स्माइल बहुत प्यारी है. कोई भी लड़का अगर उनको देखेगा तो उन्हें अपना दिल दे देगा. भाभी की शादी 21 साल की उम्र में ही हो गई थी और उन्हें एक चार साल की बेटी भी हे.
स्वर्णा भाभी की मेरी मम्मी से बहुत अच्छी दोस्ती थी इसलिए वह हमेशा मेरे घर आती थी. मैंने कभी उन्हें गलत नजर से नहीं देखा था. दरअसल मैं बहुत शर्मीला लड़का हूं और मैं लड़कियों से बात करने में भी बहुत शर्माता हूं. मैंने भाभी से ज्यादा बात नहीं करता था बस कभी कभी स्माइल पास कर देता था.
एक दिन शाम को मैं घर आया तो मम्मी ने कहा अनुराग स्वर्णा की तबीयत खराब हे, तू जा और उसे डॉक्टर को दिखा ला. मैंने भी पूछा क्यों उनके पति नहीं ले जा सकते? इस पर मम्मी ने मुझे डांटा और कहां जितना बोला है उतना कर.
मैं भी बिना मन के भाभी को लेकर अपनी बाइक पर डॉक्टर के पास ले गया. डॉक्टर ने बताया कि उन्हें पिछले 1 हफ्ते से बुखार है जिसकी वजह से उन्हें अब कमजोरी हो गई है. वापस आते समय मैंने भाभी से पूछा कि 1 हफ्ते से बुखार है तो डॉक्टर के पास पहले जाना चाहिए था ना इस पर वो कुछ नहीं बोली.
घर आकर रात को मैंने अपने मां से यह बात बताई की भाभी को 1 हफ्ते से बुखार था तो उनके पति को ले जाना चाहिए था ना डॉक्टर के पास? इस पर मम्मी ने बताया भाभी के पती बहुत ही पुराने विचारों के हैं इसलिए जब उन्हें बेटी हुई तबसे वह स्वर्णा पर ज्यादा ध्यान नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि बेटी भाभी के वजह से हुई है.
यह बात मुझे बहुत बुरी लगी हम २१ वी सेंचुरी में रहते हैं फिर भी ऐसे बेकार के पुरानी सोच करते हैं कुछ लोग.
मैंने अपनी मां से कहा कि भाभी को ऐसे ही इंसान को छोड़ देना चाहिए मेरी मां ने कहा कि एक औरत के लिए ये करना आसान नहीं होता. और तुम दूसरों के घर के मामले में मत पड़ो.
दोस्तों सच बता रहा हूं मैं उस रात बिल्कुल नहीं सोया. और उस दिन के बाद मेरे मन में भाभी के लिए एक कोने में जगह बन गयी. मेरे मन में उनके लिए कोई वासना या प्यार की भावना नहीं थी पर उनको दुखों के लिए एक दर्द था. हर औरत हसते अपने दर्द को छुपा लेती है और समाज को पता भी नहीं चलता.
उस दिन के बाद धीरे धीरे मैंने भाभी और उनके बच्चे से दोस्ती कर ली. मैं हमेशा उनकी बेटी के लिए खिलौना लाता. उसे पढ़ाई में मदद करता. अब भाभी से भी मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी उन्हें अगर मार्केट से कुछ सामान लाना होता तो मैं लाकर दे देता. या उन्हें मार्केट जाना होता तो मैं अपनी बाइक पर ले जाता.
हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे भाभी ने एक बार मुझे बताया कि कैसे उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था लेकिन उनके घर वालों ने ग्रेजुएशन के सेकंड ईयर में ही शादी करवा दी. पर वह हमेशा मुझे झूठ कहती है कि वह अपने पति के साथ बहुत खुश है. वह मजाक मजाक में मुझसे कहती कि अगर आप मुझे पहले मिले होते तो मैं आप के साथ शादी कर लेती मैं भी यह बात हंसी में उड़ा देता था.
एक सुबह मैं घर पर अकेला था मेरे घर के सभी लोग बाहर गए थे अपने अपने कामों से. तभी मुझे भाभी के घर से लड़ाई की आवाज आई मैं डर गया. मैंने सोचा क्या मैं उनके घर जाऊं या नहीं? तभी मैंने देखा कि भइया अपने बाइक पर शायद ऑफिस चले गए. मैं 5 मिनट के बाद भाभी के घर गया थोड़ी देर डोर बेल बजाने के बाद भाभी ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर कहा
अनुराग तुम्हे कुछ काम है क्या? आओ अंदर बैठो.
मैं देख सकता था की भाभी की आँखे रोने की वजह से थोड़ी लाल हो गई थी. और उनका गाल भी लाल लग रहा था मतलब उनके पति ने उन्हें मारा भी था. मैंने उनसे कहा कि मैंने कुछ आवाजें सुनी यह सुनकर वह थोड़ी परेशान हो गई. फिर उन्होंने बात बदलते हुए कहा कि आवाजे टीवी से आ रही थी.
मैंने कहा नहीं भाभी आप झूठ मत बोलिए.
वह बोली अरे मैं झूठ क्यों बोलूंगी?
आप झूठ बोल रहे हैं अच्छा बताइए आप की आँख क्यों लाल है आप रो रही थी?
उसने कहा नहीं वह तो आंख में कचरा चला गया था.
मैं सोफे पर उनके पास जाकर बैठ गया और उनके गाल को हाथ लगाकर पूछा यह कैसे हुआ? इस पर वह एकदम चुप हो गई मैंने कहा था कि मुझे सब पता है आपके और भाई के बारे में झूठ मत बोलो. अगर आप मुझे अपना दोस्त मानती हो तो अपना दर्द बता नहीं सकती?
यह बात सुनकर हो मुझे पकड़कर रोने लगी और बताया कि कैसे उनके के बेटी के स्कूल जाने के बाद उनके पति ने उनसे झगड़ा शुरु कर दिया? क्योंकि उन्होंने अपने खर्चे के लिए कुछ पैसे मांगे, उन्होंने बताया कि कैसे उनका पति हमेशा से ऐसे ही झगड़ा करके उन्हें मारता है,
उन्होंने कहा कि उनके घर वालों ने जबरदस्ती भाभी की शादी करा दी और उनका पति शुरू से उन्हें अपने मुट्ठी में काबू कर के रखने की कोशिश करता है. और वह बेचारी भी अपने घर वालों की इज्जत के डर से कुछ कर नहीं सकती. इतना बताने के बाद वह जोर जोर से रोने लगी उनका दर्द सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए.
तभी मुझे उनके गाल के दर्द का एहसास हुआ तो मैं फटक से जाकर घर से आइस क्यूब ले आया मैंने वह क्यूब उन्हें दी पर वह लगातार रोये जा रही थी, इसलिए वह क्यूब लेकर मैं उनके पास बैठ गया.