भाभी और बीवी के सात थ्रीसम चुदाई

उन्होंने मेरे लंड को कपड़े से साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया। वो मेरे होंठों को चूमने लगी और बोली, “देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है की मैं क्या बताऊँ। ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला।”

मैंने कहा, “भाभी… आप इतने नशे में हो… इसलिये इतनी तारीफ कर रही हो।”

भाभी बोलीं, “अरे मेरे बेवकूफ देवर जी, नशे में जरूर हूँ पर गलत नहीं कह रही… बल्कि नशे में तो मज़ा दोगुना हो गया।”

मैंने फिर कहा, “मैं मिन्नी का क्या करूँ?”

वो बोली, “मैंने तुम्हारे भैया से इतने सालों तक चुदवाया था… फिर भी मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ़ हुई। मिन्नी अभी बहुत छोटी है। जरा सोचो की उसे कितनी तकलीफ होती होगी।”

मैंने कहा, “तब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। क्या मैं मिन्नी को छोड़ कर केवल तुमहारी चुदाई करूँ?”

वो बोली, “मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ। अब की बार जब तुम मिन्नी की चुदाई करना तो उसके ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। वो चाहे कितनी भी चींखे या चिल्लाये… अपना पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देना। उसकी चींख मुझे सुनायी पड़ेगी… तुम इसकी परवाह मत करना।”

मैंने कहा, “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा।”

वो बोली, “थोड़ी देर आराम कर लो। उसके बाद मिन्नी के पास जाओ। अबकी बार हार नहीं मनना। पूरा का पूरा घुसा देना भले ही वो कितना भी चींखे या चिल्लाये। हो सके तो उसे भी थोड़ी सी शराब पिला दो… उसे तकलीफ कुछ कम होगी और बाद में मज़ा भी ज्यादा आयेगा।”

मैंने कहा, “मैं ऐसा ही करूँगा।”

सुबह के पाँच बजने वाले थे। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं मिन्नी के पास चला गया। मिन्नी सो रही थी। मैंने उसे जगाया तो वो उठ गयी। मैंने उससे कहा, “जा कर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लंड पर ढेर सारा तेल लगा दो।”

वो बोली, “मुझे शरम आती है।”

मैंने कहा, “अगर तुम मेरे लंड पर तेल नहीं लगाओगी तो मैं ऐसे ही अपना लंड तुम्हारे छेद में घुसा दूँगा।”

वो बोली, “ना बाबा ना, ऐसा मत करना। जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी। मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ।”

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इतना कह कर वो उठी। उसने तेल की शीशी से तेल निकाल कर मेरे लंड पर लगा दिया। उसके तेल लगाने से मेरा लंड एक दम टाइट हो गया। उसके बाद मैंने एक ग्लास में थोड़ी सी शराब डाल कर उसके होंठों से ग्लास लगा दिया। उसने थोड़ी आनाकनी की पर फिर मेरे समझाने पर वो बुरा सा मुँह बना कर एक ही साँस में पुरा गटक गयी।

“ऊँ.. मेरा सिर घूम रहा है…” वो बोली और वो मेरे कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गयी और बोली, “धीरे-धीरे घुसाना।”

मैं उसके ऊपर आ गया। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड के छेद पर रख दिया और फिर उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसकी कमर को जोर से पकड़ लिया। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसके मुँह से आह निकल गयी।

मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो उसके मुँह हल्की सी चींख निकल गयी। मेरा लंड उसकी गाँड में तीन इंच तक घुस चुका था। मैंने थोड़ा सा जोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लंड चार इंच तक घुस गया। मैंने उसकी चींख पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया। मैंने जोर का धक्का मारा तो वो तड़पने लगी और जोर जोर से चींखने लगी, “दीदी, बचा लो मुझे, मर जाऊँगी मैं।”

अगले धक्के के साथ मेरा लंड पाँच इंच तक घुस गया। मैंने फिर से बहुत ही जोर का एक धक्का और मारा तो वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसने अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये और बहुत ही जोर-जोर से चिल्लाने लगी। अब तक मेरा लंड मिन्नी की गाँड में छः इंच तक घुस चुका था। मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा तो वो बहुत जोर-जोर से रोने लगी। लग रहा था कि जैसे वो मर जायेगी। मैं रुक गया और फिर अगले धक्के के साथ मेरा लंड उसकी गाँड में सात इंच घुस चुका था। मैंने अपना लंड एक झटके से बाहर खींच लिया। पक की आवाज़ के साथ मेरा लंड बाहर आ गया। मैंने देखा की उसकी गाँड का मुँह खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लंड पर और उसकी गाँड पर लगा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठायी और उसकी गाँड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया। उसके बाद मैंने फिर से अपना लंड धीरे धीरे उसकी गाँड में घुसा दिया। जब मेरा लंड उसकी गाँड में सात इंच तक घुस गया तो मैंने पूरी ताकत के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिये।

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वो जोर जोर से चिल्लाने लगी, “दीदी, तुमने मुझे कहाँ फँसा दिया। मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो, बचा लो मुझे, नहीं तो ये मुझे मर डालेंगे।”

मैंने कहा, “अब चुप हो जाओ। मेरा पूरा लंड अब घुस चुका है।”

वो कुछ नहीं बोली, केवल सिसक-सिसक कर रोती रही। मैं अपना लंड उसकी गाँड में ही डाले हुए थोड़ी देर तक रुका रहा। धीरे-धीरे वो कुछ हद तक शाँत हो गयी। तभी कमरे के बाहर से ही डॉली भाभी ने पूछा, “काम हो गया?”

मैंने कहा, “अभी तो मैंने केवल अपना औज़ार ही पूरा अंदर घुसाया है।”

वो बोली, “ठीक है, अब जल्दी से अपना पानी भी निकाल दो और बाहर आ जाओ।”

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये तो मिन्नी फिर से चींखने लगी। वक्त गुजरता गया और वो धीरे-धीरे शाँत होती गयी। दस मिनट में वो एक दम शाँत हो गयी तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी आह ही निकल रही थी। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी।

तेल लगा होने की वजह से मेरा लंड उसकी गाँड में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मिन्नी को भी अब कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था। मैं भी पूरे जोश में आ चुका था और तेजी के साथ उसकी गाँड मार रहा था। दस मिनट तक मैंने उसकी गाँड मारी और फिर झड़ गया। लंड का सारा पानी उसकी गाँड में निकाल देने के बाद भी मैंने उसकी गाँड में ही अपना लंड डाले रखा और उसके ऊपर लेट गया।

मैंने मिन्नी से पूछा, “कुछ मज़ा आया?”

वो बोली, “बहुत दर्द हो रहा है और तुम पूछ रहे हो की मज़ा आया!”

मैंने कहा, “मेरी कसम है तुम्हें, सच-सच बताओ… क्या तुम्हें जरा सा भी मज़ा नहीं आया?”

उसने शरमाते हुए कहा, “पहले तो बहुत दर्द हो रहा था लेकिन बाद में मुझे थोड़ा-थोड़ा सा मज़ा आने लगा था कि तुम रुक गये।”

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