मॅ चुड गयी सब्ज़ीवले से

वो मा को छोड़ने वाला था लेकिन मा उसको बोली पहले छूट गीली कर छत के. अब वो शायद छूट छत रहा था. मा उसको बता रही थी. हन अप्पर तोड़ा, बीच मे, अया बस वही. अंदर डाल जिब, घुमा ना, आआआ, सस्स्सस्स..

फिर मा ने पैर फैलाए और वो छोड़ने लगा. उसका आधा लंड गया था तो मा चीक रही थी, आबे साले फाड़ देगा क्या छूट, निकल बहेर.. वो सुन नही रहा था और मा की निघट्य मूह मे डाल के मूह को बंद काइया और छोड़ने लगा.

मा की आवाज़ दबी थी पेर सुनाई दे रही थी उम्म्म्ममम, क़ााआआ, ओह, उसने धक्को की स्पीड बढ़ा दी थी. रूम मई पच पच की आवाज़ आ रही थी.

उसने मा को बोला कहा निकालु तो मा बोली बहेर निकल अंदर मत डाल. तो उसने मा के अप्पर माल गिराया शायद. और कपड़े पहें के चला गया.

मा को चलने मे दिक्कत हो रही थी. रात को पापा ने पूछा तो बोली गांद जल रही है तीखा खाने के वज से. लेकिन असली बात मुझे ही मालूम थी.

दूसरे दिन से तो ये आम हो गया. वो डुफेर को आता, मई सोने का नाटक करता और वो मा को छोड़ के चले जाता.

अब तो वो ज़्यादा देर बैठता, छाई-पानी करके जाता, अब मेरे सामने भी मा को कंबल मे छोड़ देता. मुझे सामने टीवी देखने बैठा कर पीछे दोनो चुदाई करते थे.

मई टीवी के चॅनेल चेंज कर कर जब ब्लॅक स्क्रीन आती उसमे पीछे का नज़ारा देखता. साला मा को रंडी की तरह छोड़ देता. मा भी कभी उससे मज़े से चुड़वति.

कम से कम अब इस घटना को 6-7 महीने हो गये थे. अब तो जैसे घर का सदस्या बन गया था. आता हम तीनो खाना खाते फिर सोने के बहाने से मा को छोड़ता, बैठ के छाई पानी करके जाता.

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अब वो मा से पैसे माँगने लगा था. मा ने पहले 1-2 बार दिए लेकिन एक बार उसने गुस्से मे आकर मा को मारा तब से मा ने उसको धमकी दे दी अगर गॅली मे दिखा तो अपने शोहार को बोल कर कटवा दूँगी. उसके बाद वो नही आया.

लेकिन मा का बदन गडरिला करके गया. पपीते जैसे माममे, गांद निकली हुई. मई भी अब बड़ा हो गया था. अब मेरी नज़रे मा पेर थी जल्दी मैने मा को पटाया और छोड़ना चालू काइया. मा की छूट शांत करनी थी, अब कोई लंड नही था तो मई ही सही. मा भी मुझसे मज़े से चुड़वति.

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