इस कहानी को लेकर मुझे बहुत से मेल मिले. जिन्होंने मुझे मेल किए, उनको बहुत बहुत शुक्रिया. उन मेल में आप सबने मुझसे अगली कहानी लिखने के लिए भी बोला था, तो आज मैं अपनी दूसरी कहानी आप सभी के मजे के लिए लिख रही हूँ.
मैंने अपने बारे में पिछली कहानी में सब बता दिया था, जिन्होंने पिछली कहानी नहीं पढ़ी है, वो जरूर पढ़ें.. जिसमें उन्हें मेरे बारे में सब कुछ मालूम पड़ जाएगा. वैसे मैं इधर भी अपने बारे में लिख सकती हूँ.. लेकिन पूरा मजा लेना है तो प्लीज़ एक बार मेरी पिछली कहानी का रस जरूर लीजिएगा.
पिछले महीने ही मेरे सास और ससुर जी ने बोला कि तुम दोनों भी एक बार खेत ओर गांव देखने चलो.. तो मैंने भी बोल दिया कि हाँ मैंने तो गांव भी नहीं देखा, प्लीज चलते हैं.
इस पर मेरे पति ने ये कह कर मना कर दिया कि उन्हें आफिस में बहुत काम है, अगर तुमको जाना हो, तो तुम जा सकती हो.
उनसे अनुमति मिलने के बाद मैं गाँव जाने के लिए तैयार हो गई. उसी दिन शाम की ट्रेन थी, मैंने खाना बनाया और सब खाना खाकर हम लोग निकल गए. रात में ही गांव पहुंच गए और कोई काम नहीं था, सो सब सो गए.
सुबह हम खेत देखने निकले, खेत देख कर बहुत अच्छा लगा. सारा दिन यूं ही टहलते रहे.. पेड़ों की छांव में दोपहर काटी, वहीं जो खाना साथ ले गए थे, सबने बैठ कर खाया और प्रकृति का आनन्द लिया. फिर शाम को सब लोग घर आ गए. वहां सबने बातें की हंस बोल कर अपने अपने अनुभव शेयर किए. इस तरह एक दिन निकल गया.
अगली सुबह मैं नहाने गई. वहां स्नानघर कच्चा बना हुआ है, तो मुझे पता नहीं, लग रहा था कि कोई मुझे नहाते हुए देख रहा है. मैंने चारों तरफ देखा.. लेकिन मुझे कोई नहीं दिखाई दिया, तो किसी तरह मैंने स्नान किया और तैयार हो गई.
फिर उस दिन कई लोग हम सभी से मिलने आए थे, सो सबसे मिले. मैंने देखा कि मेरे ससुर जी के छोटे भाई खड़े थे. वे अभी थोड़े जवान हैं और गांव में रहने से उनकी कद काठी भी बहुत अच्छी बनी हुई थी. उनकी वाइफ 5 साल पहले ही चल बसी थीं. वे मुझे बहुत घूर रहे थे, पहले मुझे बहुत अजीब सा लगा.. लेकिन मैंने सर झुका कर उनसे नमस्ते की. उनसे कोई बातचीत नहीं हुई, बस मेरे ससुर उनको मेरे बारे में बताते रहे.
शाम में जब मैं बाहर फोन पर बात करती करती बाहर चली गई, तो मैंने देखा एक दीवार के पीछे कोपचे जैसी जगह में वो अपना दस इंच लंबा हथियार बाहर निकाल कर सहला रहे हैं. मैं उधर बनी एक कच्ची झोपड़ी के पीछे छिप गई और उनको लंड हिलाते हुए देखने लगी. मैंने देखा कि वो मेरा नाम लेकर ही अपना मूसल लंड सहला रहे थे. उनका बड़ा लंड देख कर मेरी नीयत भी खराब हो गई, मैं बहुत खुश हो गई कि अब ये लंड मुझे चोदेगा.
उस रात में बार बार मैं उनके पास जाती और बहाने से उन्हें छू लेती. मैं देख रही थी कि उनका लंड फुंकार मार रहा था. मैं समझ गई कि आज रात मैं फिर बुरी तरह चुदने वाली हूँ. एक दो बार मैंने उनकी तरफ देखा तो मुझे उनकी आँखों में मेरे लिए वासना दिखी. मैंने भी एक बार उनके सामने झुक कर अपने चूचे उनको दिखा दिए और हल्के से होंठ काट कर उनको हरी झंडी दे दी.
फिर रात में चाय देने के लिए मैं उनके कमरे में गई, तो उन्होंने मुझे पकड़ लिया और बोले- आज रात जब सब सो जाएं तो मेरी प्यास बुझाने तुझे आना ही है. तू चुपचाप आ जाना, मैं तेरा इन्तजार करूँगा.
मैंने भी एक मीठी मुस्कान दे दी और उनके लंड पर हाथ फेर कर बाहर जाने लगी तो उन्होंने मेरे दूध पकड़ कर मसल दिए. मैं उनसे खुद को छुड़ा कर चली गई.
चूंकि गांव में सब जल्दी सो जाते हैं, तो मुझे ज्यादा इंतज़ार भी नहीं करना पड़ा. सबके सोने के एक घंटे बाद मैंने अपनी बिस्तर में तकिया फंसाया और ऊपर से चादर डाल दी ताकि किसी को मेरे न होने का शक न हो.
अब मैं सबकी तरफ देखते हुए दबे पाँव अपने बड़े लंड के पास उनके कमरे में चली गई. वो मुझे आता देख कर बहुत खुश हो गए. उन्होंने झट से दरवाजा बंद किया और मुझे अपनी ओर खींचते हुए बोले- मेरी रानी मैं तो कब से तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था.
वे मुझ पर झपट पड़े, मुझे चूमने लगे. मैं भी उनका साथ देने लगी.
फिर मैं नीचे झुक गई और उनका दस इंच का मूसल लंड बाहर निकाल कर उसे सहला कर अपने मुँह में भर लिया.
मेरे चचिया ससुर मस्त होकर बोले- अह… हाँ मेरी रानी बहुत अच्छे.. तुम तो बड़ी संस्कारी बहू हो.. चूसो लंड..
वे मेरा सर पकड़ जोर जोर से मेरे मुँह में धक्के देने लगे और एक बार मेरे मुँह में ही झड़ गए. उनके लंड ने इतना अधिक वीर्य निकाला था कि मेरा पूरा मुँह भर गया और मुँह से बाहर निकल कर आने लगा.
मैंने उनके स्वादिष्ट नमकीन शहद की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने दी और पूरा रस अपनी उंगलियों से उठा उठा कर चाट लिया.
फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरे सारे कपड़े खोल दिए. साथ ही अपने भी कपड़े भी खोल दिए. मेरी नंगी मदमस्त जवानी मेरे विधुर चचिया ससुर के सामने अंगड़ाई लेने लगी थी.
चाचा जी ने मुझे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गए. मैं जोर जोर से सांसें ले रही थी. उन्होंने किसी पहलवान की तरफ मेरा फूल सा कोमल शरीर खींचा और मेरी टांगें फैला कर मेरी चुत पर थूक लगा दिया. मेरी गुलाबी पकौड़े से फूली चुत देख कर उनका लंड फिर से खड़ा होकर हिनहिनाने लगा.
चाचा जी ने अपनी बहू की चुत पे अपना मूसल लंड रखा और जोर से अन्दर धकेल दिया. उनका लंड बड़ी तेजी से मेरी चुत में घुस गया, मुझे दर्द होने लगा. मैं चिल्लाने को हुई तो उन्होंने मेरे मुँह पर हाथ रखा और बोले- रानी पहली बार चुद रही हो क्या.. जो इतना चिल्ला रही हो?
मैं कुछ नहीं बोली, मेरी चूत ने पहली बार इतना भयंकर लंड लिया था. चूत के चीथड़े उड़ना तय थे. मैं दर्द से बिलख रही थी, पर उनके हाथ मेरे मुँह से निकलने वाली आवाज को रोके हुए थे.
उन्होंने बिना रुके आठ दस कड़क धक्के मेरी चूत में लगा दिए. मेरे मुँह से लंबी लंबी सांसें निकल रही थीं और वो बेरहमी से बुरी तरह मुझे चोदे जा रहे थे.