बहू के मज़े ससुर ले रहा है

उसने बरी मुश्किल से अपने को संभाला. रामलाल को अपनी बहू के बारे में ऐसा सोचते हुए अपने ऊपर शरम आ रहै थी. वो सोच रहा था की मैं कैसा इंसान हूँ जो अपनी ही बहू को ऐसी
नज़रों से देख रहा हूँ. बहू तो बेटी के समान होती है. लेकिन क्या करता ? था तो मारद ही. घर पहुँच कर सास ससुर ने बहू की खूब खातिरदारी की.
गाओं में आ कर अब कंचन को 15 दिन हो चुके थे. सास की तबीयत खराब होने के कारण कंचन ने सारा घरका काम संभाल लिया था. उसने सास ससुर की खूब सेवा करके उन्हें खुश कर दिया था. गाओं में औरतें लहंगा चोली पहनती थी, इसलिए कंचन ने भी कभी
कभी लहंगा चोली पहनना शुरू कर दिया. लहँगे चोली ने तो कंचन की जवानी पे चार चाँद लगा दिए. गोरी पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितुंबों ने तो रामलाल का जीना हराम कर रखा था. कंचन का ससुर रामलाल एक लूंबा टगरा आदमी था. अब उसकी उम्र करीब 55 साल हो चली थी. जवानी में उसे पहलवानी का शौक था. आज भी उसका जिस्म बिल्कुल गाथा हुआ था. रोज़ लंगोट बाँध के कसरत करता था और पुर बदन की मालिश करवाता था. सबसे बरी चीज़ जिस पर उसे बहुत नाज़ था, वो थी उसके मसल्स और उसका 11 इंच लूंबा फौलादी लंड. लेकिन रामलाल की बदक़िस्मती ये थी की उसकी पत्नी माया देवी उसकी वासना की भूख कभी शांत नहीं कर सकी. माया देवी धार्मिक स्वाभाव की थी. उसे सेक्स का कोई शौक नहीं था. रामलाल के मोटे लूंबे लॉड से डरती भी थी क्योंकि हेर बार चुदाई में बहुत दर्द होता था. वो मज़ाक में रामलाल को गढ़ा कहती थी. पत्नी की बेरूख़ी के कारण रामलाल को अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए दूसरी औरतों का सहारा लेना परा. राम लाल के खेतों में कई औरतें काम करती थी. इन मज़दूर औरतों में से सनडर और जवान औरतों को पैसे का लालच दे कर अपने खेत के पंप हाउस में छोड़ता था. जिन औरतों को रामलाल ने एक बार छोड़ दिया वो तो मानो उसकी गुलाम बुन जाती थी. आख़िर ऐसा लूंबा मोटा लंड बहुत किस्मत वाली औरतों को ही नसीब होता है. टीन चार औरतें तो पहली चुदाई में बेहोश भी हो गयी. दो औरतें तो ऐसी थी जिनकी छूट रामलाल के फौलादी लॉड ने सुचमुच ही फार डी थी. अब तक रामलाल कूम से कूम बीस औरतों को छोड़ चुका था. लेकिन रामलाल जानता था की पैसा दे कर छोड़ने में वो मज़ा नहीं जो लड़की को पता के छोड़ने में है. आज तक चुदाई का सबसे ज़्यादा मज़ा उसे अपनी साली को छोड़ने में आया था. माया देवी की बेहन सीता, माया देवी से 10 साल छ्होटी थी. रामलाल ने जुब उसे पहली बार छोड़ा उस वक़्त उसकी उम्र 17 साल की थी. कॉलेज में पर्हती थी. गर्मिों की च्छुतटी बिताने अपने जीजू के पास आई थी. बिल्कुल कुँवारी छूट थी. रामलाल ने उसे भी खेत के पंप हाउस में ही छोड़ा था. रामलाल के मूसल ने सीता की कुँवारी नाज़ुक सी छूट को फाड़ ही दिया था. सीता बहुत चिल्लई थी और फिर बेहोश हो गयी थी. उसकी छूट से बहुत खून निकला था. रामलाल ने सीता के होश में आने से पहले ही उसकी छूट का सारा खून सॉफ कर दिया था ताकि वो दर्र ना जाए. रामलाल से चूड़ने के बाद सीता सात दिन ठीक से चल भी नहीं पाई और जुब ठीक से चलने लायक हुई तो शहर चली गयी. लेकिन ज़्यादा दिन शहर में नहीं रह सकी. रामलाल के फौलादी लॉड की याद उसे फिर से अपने जीजू के पास खींच लाई. इस बार तो सीता सिर्फ़ जीजू से चुड़वानवे ही आई थी. रामलाल ने तो समझा था की साली जी नाराज़ हो कर चली गयी. आते ही सीता ने रामलाल को कहा ” जीजू मैं सिर्फ़ आपके लिए ही आई हूँ.” उसके बाद तो करीब रोज़ ही रामलाल सीता को खेत के पंप हाउस में छोड़ता था. सीता भी पूरा मज़ा ले कर चुड़वाती थी. रामलाल के खेत में काम करने वाली सभी औरतों को पता था की जीजा जी साली की खूब चुदाई कर रहे हैं. ये सिलसिला करीब चार साल चला. सीता की शादी के बाद रामलाल फिर खेत में काम करने वालीओं को छोड़ने लगा. लेकिन वो मज़ा कहाँ जो सीता को छोड़ने में आता था. बारे नाज़ नखरों के साथ चुड़वाती थी. शादी के बाद एक बार सीता गाओं आई थी. मोका देख कर रामलाल ने फिर उसे छोड़ा. सीता ने रामलाल को बताया था की रामलाल के लूंबे मोटे लॉड के बाद उसे पति के लंड से तृप्ति नहीं होती थी. सीता भी राम लाल को कहती “ जीजू आपका लंड तो सुचमुच घधे के लंड जैसा है.” गाओं में गढ़े कुच्छ ज़्यादा ही थे. जहाँ नज़र डालो वहीं चार पाँच गढ़े नज़र
आ जाते. कुच्छ दिन बाद सीता के पति और सीता दुबई चले गये. उसके बाद से रामलाल को कभी भी चुदाई से तृप्ति नहीं मिली. अब तो सीता को दुबई जेया कर 20 साल हो चुके थे. रामलाल के लिए अब वो सिर्फ़ याद बुन कर रह गयी थी. माया देवी तो अब पूजा पाठ में ही ध्यान लगती थी. इस उम्र में खेत में काम करने वाली औरतों को भी छोड़ना मुश्किल हो गया था. अब तो जुब कभी माया देवी की कृपा होती तो साल में एक दो बार उनको छोड़ कर ही काम चलाना परता था. लेकिन माया देवी को छोड़ने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता था. धीरे धीरे रामलाल को विश्वास होने लगा था की अब उसकी छोड़ने की उम्र निकल गयी है. लेकिन जुब से बहू घर आई थी रामलाल की जवानी की यादें फिर से ताज़ा हो गयी थी. बहू की जवानी तो सुचमुच ही जान लेवा थी.

और कहानिया   भाभी और उनकी सहेली के सात थ्रीसम

Pages: 1 2 3 4 5

Comments 1

Leave a Reply

Your email address will not be published.