5 साल बड़ी दीदी के सात सेक्स का मज़ा 2

मैं अब अपना हाथ दीदी के स्कर्ट के अंदर डाल कर के उनके पैरों और जाँघों को सहलाने लगा।
दीदी फिर फुसफुसा कर बोलीं- कोई हमें देख ना ले!
मैंने दीदी को समझाते हुए कहा- हमें कोई नहीं देख पाएगा। आप चुपचाप बैठी रहो।

मैंने अपना हाथ अब दीदी के जाँघों के अंदर तक ले जाकर उनकी जाँघ के अंदरूनी भाग को सहलाने लगा और धीर-धीरे अपना हाथ दीदी की पेंटी की तरफ़ बढ़ाने लगा।

मेरा हाथ इतना घूम गया की दीदी की पेंटी तक नहीं पहुँच रहा था।
मैंने फिर हल्के से दीदी के कानों में कहा- थोड़ा नीचे खिसक कर बैठो न।
दीदी ने हँसते हुए पूछा- क्या तुम्हारा हाथ वहाँ तक नहीं पहुँच रहा है।

‘हाँ’ मैंने दबी जुबान से दीदी को बोला।
दीदी धीरे से हँसते हुए बोलीं- तुमको अपना हाथ कहाँ तक पहुँचाना है?
मैं शर्माते हुए बोला- तुमको मालूम तो है!

दीदी मेरी बातों को समझ गईं और नीचे खिसक कर बैठीं। मेरा हाथ शुरू से दीदी के स्कर्ट के अंदर ही घुसा हुआ था और जैसे ही दीदी नीचे खिसकी मेरा हाथ जा करा अपने आप दीदी की पेंटी से लग गया।

फिर मैं अपने हाथ को उठा कर पेंटी के ऊपर से दीदी की चूत पर रखा और ज़ोर से दीदी की चूत को छू लिया।

यह पहलीं बार था कि अपने दीदी की चूत को छू रहा था। दीदी की चूत बहुत गर्म थीं। मैं अपनी ऊँगलीं को दीदी की चूत के छेद के ऊपर चलाने लगा।

थोड़ी देर के बाद दीदी फुसफुसा कर बोलीं- रुक जाओ, नहीं तो फिर से मेरी पेंटी गीलीं हो जायेगी।
लेकिन मैंने दीदी की बात को अनसुनी कर दी और दीदी की चूत के छेद को पेंटी के ऊपर से सहलाता रहा।

दीदी फिर से बोलीं- प्लीज़, अब मत करो, नहीं तो मेरी पेंटी और स्कर्ट दोनों गंदी हो जायेगीं।
मैं समझ गया कि दीदी बहुत गर्मा गईं हैं। लेकिन मैं यह भी नहीं चाहता था कि जब हम लोग सिनेमा से निकलें तो लोगों को दीदी गंदी स्कर्ट दिखे। इसलिए मैं रुक गया।

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मैंने अपना हाथ चूत पर से हटा कर दीदी की जाँघों को सहलाने लगा। थोड़ी देर के बाद इंटरवल हो गया।

इंटरवल होते ही मैं और दीदी अलग-अलग बैठ गए और मैं उठ कर पॉपकॉर्न और पेप्सी ले आया।

मैंने दीदी से धीरे से कहा- तुम टॉयलेट जाकर अपनी पेंटी निकाल कर नंगी होकर आ जाओ।

दीदी ने आँखें फाड़ कर मुझसे पूछा- मैं अपनी पेंटी क्यों निकालूँ?
मैं हँस कर बोला- निकाल लेने से पेंटी गीलीं नहीं होगी।
दीदी ने तपाक से पूछा- और स्कर्ट का क्या करें? क्या उसे भी उतार कर आऊँ?

‘सिंपल सी बात है जब टॉयलेट से लौट कर आओगी तो बैठने से पहले अपनी स्कर्ट उठा कर बैठ जाना’ मैंने दीदी को आँख मारते हुए बोला।

दीदी मुस्कुरा कर बोलीं- तुम बहुत शैतान हो और तुम्हारे पास हर बात का जवाब है।
जैसा मैंने कहा था, दीदी टॉयलेट में गईं और थोड़ी देर के बाद लौट आईं।

जब मैं दीदी को देख कर मुस्कुराया तो दीदी शर्मा गईं और अपनी गर्दन झुका लीं।
हम लोग फिर से हॉल में चले गए जब बैठने लगीं तो अपनी स्कर्ट ऊपर उठा लीं, लेकिन पूरी नहीं।

हम लोगों के जैकेट अपने-अपने गोद में थीं और हम लोग पॉपकॉर्न खाना शुरू किया। थोड़ी देर के बाद हम लोगों ने पॉपकॉर्न खत्म किए और फिर पेप्सी भी खत्म कर लिया।

फिर हम लोग अपनी-अपनी सीट पर नीचे हो कर पैर फैला कर आराम से बैठ गए थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ बढ़ा कर दीदी की गोद पर रखी हुई जैकेट के नीचे से ले जाकर के दीदी की जाँघों पर रख दिया।

मेरे हाथों को दीदी की जाँघों से छूते ही दीदी ने अपने जाँघों को और फैला दिया। फिर दीदी ने अपने चूतड़ थोड़ा ऊपर उठा करके अपने नीचे से अपनी स्कर्ट को खींच करके निकाल दिया और फिर से बैठ गईं अब दीदी हॉल के सीट पर अपनी नंगी चूतड़ों के सहारे बैठी थीं।

सीट की रेग्जीन से दीदी को कुछ ठंड लगीं पर वो आराम से सीट पर नीचे होकर के बैठ गईं। मैं फिर से अपने हाथ को दीदी की स्कर्ट के अंदर डाल दिया। मैं सीधे दीदी की चूत पर अपना हाथ ले गया।

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जैसे ही मैं दीदी की नंगी चूत को छुआ, दीदी झुक गईं जैसे कि वो मुझे रोक रही हो। मुझे दीदी की नंगी चूत में हाथ फेरना बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे चूत पर हाथ फेरते-फेरते चूत के ऊपरी भाग पर कुछ बाल का होना महसूस हुआ।

मैं दीदी की नंगी चूत और उसके बालों को धीरे धीरे सहलाने लगा। मैं दीदी की चूत को कभी अपने हाथ में पकड़ कर कस कर दबा रहा था, कभी अपने हाथ उसके ऊपर रगड़ रहा था और कभी-कभी उनकी क्लिंट को भी अपने उँगलियों से रगड़ रहा था।

मैं जब दीदी की क्लिंट को छेड़ रहा था तब दीदी का शरीर कांप सा जाता था। उनको एक झुरझुरी सी होती थीं। मैंने अपनी एक ऊँगलीं दीदी की चूत के छेद में घुसेड़ दी।

ओह भगवान चूत अंदर से बहुत गर्म थीं और मुलायम भी थीं। चूत अंदर से पूरी रस से भरी हुई थीं।

मैं अपनी ऊँगलीं को धीरे-धीरे चूत के अंदर और बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी दूसरी ऊँगलीं भी चूत में डाल दी। ये तो और भी आसानी से चूत में समा गईं।

मैंने दोनों उँगलियों से दीदी चूत को चोदना शुरू किया।
दीदी की तेज सांसों की आवाज मझे साफ़-साफ़ सुनाई दे रही थीं। थोड़ी देर के बाद दीदी का शरीर अकड़ गया, कुछ ही देर के बाद दीदी शांत हो कर सीट पर बैठ गईं।

अब दीदी की चूत में से ढेर सारा पानी निकलने लगा। चूत की पानी से मेरा पूरा हाथ गीला हो गया।

मैं थोड़ी देर रुक कर फिर से दीदी की चूत में अपनी ऊँगलीं चलाने लगा। थोड़ी देर के बाद दीदी दोबारा झड़ी। फिर मुझे जब लगा कि सिनेमा अब खत्म होने वाला है, तो मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर से हटा लिया।

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