नमस्कार दोस्तो, शॉर्ट स्कर्ट वाली जवान लड़कियो, सेक्सी साड़ी वाली दूधिया बॉडी की मालकिन भाभियों और चुदक्कड़ आंटियो … मैं आपका रॉकी राज एक और कामुक कहानी लेकर हाजिर हूं.
दोस्तो, आप सभी को तो पता ही होगा कि मेरी पिछली कहानी
दोस्त के भाई की शादी में सुहागरात
में मैंने होली में हुई संभोग की घटना का जिक्र किया था. जिसमें मैंने कहा था कि होली में मुझे दो खुशियां मिली थीं. एक तो ये कि मुझे कानपुर जाने के बारे में पता चला था. कानुपर में अपनी शिखा मामी की जवानी को याद करते हुए उधर शिखा मामी की चुदाई की तैयारी में लग गया था. मैंने कानपुर जाकर को उनको चोदा भी था. इसमें सेक्स होने से पहले सेक्स की कल्पना को लिखा है.
आज मैं वही वादा निभाने जा रहा हूं. तो दोस्तों मेरी इस अति कामुक सेक्स कहानी को पढ़ने के लिए तैयार हो जाइए.
दोस्तो, भाभियो और आंटियो, यह कहानी इतनी कामुक है कि इस कहानी को पढ़ने के बाद आप सबका लंड खड़ा होकर बगावत करने लगेगा और चुत की मालकिनों की चुत गर्म होकर किसी मर्द के लंड का वीर्य निकलवा ही लेंगी.
मेरा नाम रॉकी राज है, मैं लखनऊ में माता-पिता और दादा-दादी के साथ रहता हूं. मेरी उम्र 20 साल है, रंग गोरा, कद साढ़े पांच फिट है. मैं काफी हट्टा-कट्टा इंसान हूं. मेरी जिंदगी काफी अच्छे से चल रही थी.
उसी दौरान मेरी जिंदगी ने एक बहुत ही कामुक मोड़ लिया. जिसमें मैंने अपने दोस्त दीपक के घर पर जाकर उसके यौवन से भरपूर रसीली मधु भाभी के यौवन का रसपान किया. उनकी जमकर कामुक चुदाई की. जिसके बाद मुझे रसदार यौवन और चुत का नशा हो गया. अब मुझे दिन-रात चुत ही के ख्याल आने लगे.
मित्रो, जब एक बार आपका लंड किसी गर्म चुत में चला जाएगा, तब से आपको चुत चुदाई करने का मन बार-बार करता रहेगा.
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था.
दरअसल मुझे चुत चुदाई का नशा हो गया था. मधु भाभी को चोदने के बाद मैं, उनसे फिर दोबारा कभी नहीं मिल सका. पर मन तो बार-बार करता था कि मैं मधु भाभी के पास चला जाऊं और एक बार फिर उनके मज़ेदार यौवन के मज़े चूस लूं, पर दुबारा मौका ही नहीं मिला.
होली का टाइम आया, तो कॉलेज में छुट्टी हुई और मैं घर आ गया. घर आते ही मैं सबसे मिला, सभी खुश हुए.
मुझे पता चला कि इस होली में हमारे घर स्वीटी आंटी और मनोज अंकल आ रहे हैं. ये जानकर मैं काफी खुश हुआ. क्योंकि मैं स्वीटी आंटी को जानता हूं. मैंने उनको शुरुआत से ही खूब देखा है. वो बहुत खूबसूरत हैं.
मैंने सोचा कि चलो चुदाई का इंतजाम हो गया. मधु भाभी न सही, स्वीटी आंटी ही सही. पता नहीं इतने सालों बाद स्वीटी आंटी कैसी दिखती होंगी.
मैं आपको स्वीटी आंटी के बारे में बता दूं कि उनकी उम्र मेरी मामी की सभी सहेलियों में बहुत ही कम है. दरसअल स्वीटी आंटी मेरी मम्मी की सहेली सुषमा की छोटी बहन हैं … और मम्मी की भी सहेली हैं.
स्वीटी आंटी की उम्र 30 साल है. उनकी 8 साल की एक बेटी भी है. मैं बहुत खुश था और स्वीटी आंटी के लखनऊ आने का इंतजार करने लगा. मैं उनके नाम की मुठ तक मारने लगा था. पर मैं ये भी सच रहा था कि ये सब होगा कैसे … उनके साथ तो अंकल और उनकी बेटी भी आ रही है. मैं कैसे स्वीटी आंटी को चोद पाऊंगा.
बाद में पता चला कि स्वीटी आंटी सिर्फ अपनी बेटी के साथ आ रही हैं और अंकल होली के ठीक एक दिन पहले आएंगे.
यह सुन कर मैं खुश हो गया. उनकी बेटी को तो मैं खिलौने वगैरह देकर खेलने में लगा दूंगा और स्वीटी आंटी को चोद दूंगा.
जब स्वीटी आंटी लखनऊ आईं, तो मम्मी ने मुझे स्टेशन जाकर उन्हें लाने को कहा. मैं पापा की स्कूटी लेकर चला गया.
मैं स्टेशन पहुंचा तो देखा कि अभी गाड़ी आने में देर है, तो मैं वहीं इंतजार करने लगा. जब गाड़ी आई, तो सामने गाड़ी के गेट से उतरती स्वीटी आंटी अपने बेटी के साथ दिखाई पड़ीं.
वाह … शादी और बेबी होने के बाद तो स्वीटी आंटी क्या मस्त माल बन गई थीं. स्वीटी आंटी को देखते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया. मैं उनके उतार चढ़ाव करते मम्मों को देख रहा था. बहुत ही बड़े बड़े खरबूजे जैसे मम्मे थे. स्वीटी आंटी हल्की ग्रीन कलर की साड़ी में थीं.
इस शिफोन की साड़ी में उनका छलकता यौवन देख मेरा मन किया कि बस अभी दौड़ते हुए जाऊं और मधु भाभी की तरह स्वीटी आंटी को भी नीचे झुक कर उनकी गांड से पकड़ कर उठा लूं. उन्हें अपनी बांहों में उठा कर अपने गले से लगा लूं. उनको अपने सीने से चिपका कर दोनों हाथों से उनकी मक्खन पीठ को रगड़ दूं और उन्हें और भी अधिक अपने से चिपकाता जाऊं. उनके मम्मों को अपनी छाती में दबाता जाऊं. पर अभी मुझे अपने सारे अरमानों पर कंट्रोल करके उनके पास जाना था.
मैं उनके पास गया और बोला- हाई आंटी, मैं रॉकी … पहचाना मुझे!
स्वीटी आंटी- हां … पहचान गई. तो मुझे लेने तुम आए हो.
मैं- क्यों … मैं नहीं आ सकता क्या?
स्वीटी आंटी- नहीं नहीं रॉकी … ऐसी बात नहीं है, अच्छा अब चलो.
मैंने झट से स्वीटी आंटी का सामान ले लिया और उन्हें प्लेटफार्म से बाहर ले आया. बाहर निकलते ही हम स्कूटी पर बैठने लगे.
मैंने कहा कि आंटी एक काम करते हैं खुशी को आगे खाली जगह पर खड़ा कर देते हैं. चूंकि आपके पास आपका लगेज भी है, मैं उसको पीछे बांध देता हूं. तो आपको कोई भार नहीं उठाना पड़ेगा.
स्वीटी आंटी- ठीक है … ऐसे में ही मैं आराम से तुम्हें पकड़ कर स्कूटी पर बैठ पाऊंगी.
हमने ऐसा ही किया, आगे खाली जगह पर खुशी को खड़ा कर दिया. पीछे रबड़ से मैंने लगेज़ को बांध दिया. फिर स्वीटी आंटी बैठ गईं. उसके बाद मैं बैठ कर स्कूटी चलाने लगा.
स्वीटी आंटी मुझे मेरे कंधे पर हाथ रख कर पकड़े हुई थीं. स्कूटी चल रही थी. तभी मुझे एक शरारत सूझी. मैंने कुछ कुछ दूरी पर ब्रेक मारना शुरू कर दिया, जिससे स्वीटी आंटी मेरे और करीब खिसक आईं. इससे उनके बड़े बड़े और सुडौल मम्मे मेरी पीठ पर दबने लगे.
मुझे स्वीटी आंटी के मक्खन से मम्मों से रगड़ खाने मजा आ रहा था. मैं थोड़ा इधर उधर करते हुए भी स्कूटी को चलाने लगा. जिससे उनके मजेदार चुचे, सेक्सी पेट और कमर मुझ पर महसूस होने शुरू हो गए.
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