अमीर औरतों की अय्याशी ज़िन्दगी

विजय माल्य सुबह का अखबार पढ़ रहे थे, सामने मेज़ पर गर्म चाय की प्याली रखी हुई थी, व चाय की चुस्की के साथ-साथ अखबार भी पढ़ रहे थे । तभी उनके कानों में आवाज आई-
“सर, आपका फोन !”

उन्होंने अखबार से नजर उठाई, सामने सफेद शर्ट, काली पैन्ट में उनका नौकर खड़ा था ।

“किसका फोन है मोहन?”

“सर, मलहोत्रा सर का फोन है ।”

“इस वक्त? इतनी सुबह?… हैलो, हां मलहोत्रा ! बोलो, इतनी सुबह-सुबह? क्या हो गया भई ?”

माल्य साहब बात करते हुए-
“अच्छा अच्छा ! हम्म ! यह कब की बात है? … फिर तुमने क्या किया? … चलो अभी कुछ भी करने की जरुरत नहीं है, मैं आता हूं थोड़ी देर में और जब तक मैं न पहुंचु, तुम लोग कुछ मत करना ! समझे न?” यह कह कर माल्य साहब ने फोन रख दिया और वहीं मेज़ पर अखबार रखते हुए उठ खड़ा हुआ और मोहन से पूछा-
“मेमसाब कहां हैं?”

मोहन ने जवाब दिया-
“सर, व मार्निंग-वॉक के लिए गई हैं ।”

माल्य साहब ने कहा-
“ठीक है, व आ जाएं तो उन्हें बता देना कि मैं किसी जरूरी काम से जा रहा हूं, लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी । यह कह कर माल्य साहब अपने कमरे की ओर चले गए और तैयार होने लगे ।

मोहन ने पूछा-
“साहब, नाश्ता लगाऊं?”

माल्य साहब ने जवाब दिया-
“नहीं, मैं बाहर ही कर लूंगा, तुम गाड़ी निकलवाओ ।”

विजय माल्य की पत्नी समीरा माल्य घर लौटती है-
“मोहन ! मोहन ! विजय कहां हैं?”

मोहन तेज कदमों के साथ आता है और अदब के साथ खड़ा होकर जवाब देता है-
“मैडम, साहब के पास मलहोत्रा साहब का जरूरी फोन आया था तो वो ऑफिस चले गए हैं ।”

“साहब ने कुछ खाया या नहीं?” समीरा पुछी ।

“नहीं मैडम, साहब ने कहा कि व बाहर ही खा लेंगे ।”

“अच्छा, ऐसी भी क्या एमरजेंसी थी उन्हें? … साहब से बात करवाना मेरी !”

“जी मैडम, अभी फ़ोन लगाता हूं ।” कह कर मोहन ने फोन लगाकर मैडम को दिया ।

“विजय, तुम कहां हो यार? इतनी सुबह ऑफिस में क्या कर रहे हो?”

अचानक समीरा चिन्तित दिखने लगी और कहा-
“ठीक है, लेकिन ज्यादा परेशान मत होना तुम ।”
समीरा अपने कमरे में चली गई । अपने कमरे में पहुंचकर उसने मोहन को आवाज लगाई। मोहन अब समीरा के कमरे में था । समीरा ने कहा-
“मालती को बोलो मेरी मालिश की मेज़ तैयार करे, मैं आती हूं अभी कपड़े बदल कर !”

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मोहन दूसरे कमरे में जाकर मालती को ये बता दिया जो किचन मेँ काम पर लगी थी । मोहन की बातें सुनकर मालती तुरंत सारा सामान लेकर बगल के कमरे मेँ पहुंच गई । थोड़ी देर में वहां समीरा भी पहुंच गई, उसने गाउन पहन रखा था। सामने मालिश की मेज़ थी और मेज़ के एक तरफ़ तेल और क्रीम की कई शीशियां रखी थी। मालती वहीं पास में सिर्फ एक पेटीकोट पहने खड़ी थी, उसकी बडे-बडे उभार खुले थे । गठीला सांवला बदन था, मालती की उम्र यही कोई 43 की रही होगी । तीन बच्चोँ की मां है फिर भी उसकी बदन काफी कसी हुई थी । लेकिन मालती की गांड बहुत चौडी और उभरी हुई थी । उसकी मस्त
चुतड देख कर कोई भी मर्द का नियत खराब हो सकता था ।

समीरा ने अपने गाउन की नॉट को खोल दिया । उसने सिर्फ काले रंग की पैंटी पहन रखी थी । बहुत ही सेक्सी बदन था समीरा का । बडी-बडी चुचियां, पतली कमर और चौडी उभरी चुतड, बदन थोडी सी गदराई हुई थी । इस अधेड उम्र मेँ भी समीरा ने अपनी शरीर को सुडौल रखा था । समीरा रोज पुरुषोँ के तरह जिम में कसरत करती थी । जिसकी वजह से समीरा की जांघ और वाकी अंगोँ के मॅसल्स बढने लगे थे । इसिलीए रोज सुबह को जिम के बाद अपनी पुरी बदन की मालिस करवाती थी ।

फिर समीरा ने सिर्फ पैँटी मेँ ही वहां से मेज़ की ओर बढ़ गई और बोली-
“मालती, पूरा बदन टूट रहा है ! आज जरा बढ़िया मालिश करना मेरी !”

“जी मैडम… इससे पहले कभी शिकायत का मौका दिया है कभी आपको? आप बिल्कुल बेफिक्र रहें ! एन्ड जस्ट रिलेक्स ।” मालती हंसती हुई बोली ।

समीरा पेट के बल लेट गई..बगल से उसकी चूची साफ झलक रही थी और गोरे जिस्म पर उसकी काली पैंटी बहुत सेक्सी लग रही थी। गांड काफी चौडी और उभरी हुई थी । मालती ने अपने हथेली में थोडा ऑलिव-आयल लिया और हल्के-हल्के कंधों की मालिश करने लगी । मालिश करते करते व समीरा की पीठ पर पहुंच गयी और बडे प्यार से पूरी पीठ की मालिश करने लगी । मालिश करते करते उसकी उंगलियां बगल से समीरा की चूचियों को स्पर्श करने लगी । जैसे ही बगल से मालती ने चूचियों को छुआ, मस्ती से समीरा की आंखें बंद होने लगी । मालती समझ गयी थी कि मैडम अब मस्त हो रही हैं ! व धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगी ।

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अब व समीरा की कमर की मालिश कर रही थी, कभी कभी उसके हाथ समीरा की पैंटी की इलास्टिक को भी छू जाते थे । मालती ने धीरे से मालिश करते करते समीरा की पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया । अब उसकी आंखों के सामने समीरा की गांड की दरार साफ दिखाई दे रही थी । व गांड की दरारों पर खूब अच्छी तरह से तेल की मालिश करने लगी । मालती धीरे-धीरे मालीश करते करते समीरा की गांड की छेद को भी मलने लगी । समीरा अब सांसें तेजी से लेने लगी थी।
मालती ने आगे बढ़कर पूछा-
“मैडम, आपकी पैंटी खराब हो जाएगी, इसमें तेल लग जाएगा, आप कहें तो उतार दूं पैंटी को?”

समीरा पूरी मस्ती में थी और उसने सिसियाते स्वर में कहा-
“हां, उतार दे !”

मालती ने धीरे से समीरा की काली पैंटी बड़े प्यार से गांड से अलग कर दी । अब समीरा पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी । मालती की बुर मेँ भी खुजली होने लगी । मालती के हाथ फिर से चलने लगे, वह अब अपने अंगूठे को समीरा की गांड के छेद को मसलने लगी । समीरा एकदम मस्ती में आ गई और पलट गई । अब उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मालती की आंखों के सामने थी । समीरा ने अपनी टांगें भी खोल दी थी और उसकी बुर के जगह एक मोटा तगडा लंड लहरा रहा था । हैरानी की बात तो थी, कि समीरा तो औरत थी फिर उसकी शरीर पर मर्दानी की छाप कैसे? व भी इतना लम्बा मोटा । समीरा की अधेड नारी शरीर पर हल्के रेशमी झांटोँ से भरी लंड और बडे बडे अंडकोष किसी अजुबे से कम नहीँ था ।

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