मेरा नाम पार्थो है और मैं अपने मा बाप का एकलौता बेटा हूँ. मैं २८ साल का हूँ. मैं रोज़ एक्सेर्सिसे करता हूँ और नहाने के पहलेशारेर पर खूब तेल माता हूँ. मेरा तंदुरस्ती इसीलिए काफी अच्चीहाई. मेरा लुंड करीब १०” लुम्बा और करीब ३ ½” मोटा है. पहलेमेरा लुंड का सुपर काफी लाल रंग का था लेकिन अस परोस मी रहनेवालीन के छूट छोड़ छोड़ कर अब मेरा सुपर कला पर गया है. मैं अब तक करीब १० १२ औरतों को छोड़ चूका हूँ. हमारे परोस किऔरतें मुझसे कई बार अपनी छूट चुदा चुकी हैं और जब मौकमिलता है मैं उनकी छूट और गंद मी अपना लुंड पेल कर जम कर्चुदै करता हूँ. अब मेरी शादी हो गयी है और अब परोसिओं कोचोड़ने का मौका बहुत काम मिलता है.मेरे पत्नी का नाम नुपुर है और व्हो एक सुन्दर भरे बदन वाली औरत्हाई. मेरे विफे के चुन्ची का साइज़ ३६क् और चुतर का साइज़ करीब ४०.हमारा परिवार बहुत ही कांसेर्वतिवे है लेकिन शादी के बाद नुपुरको हमारे परिवार का कांसेर्वतिवे रहन सहन अच्छा नही लगा.उसने हमसे इस बारे मी बात कि और मैंने उसे बताई कि हाँ मैं भी इस्तारफ कि रहन सहन से परेशां हूँ, लेकिन मैं कुछ नहे कर सकता.हाँ अगर तुम कुछ कर सकती हो तो तुम्हे हमारी तरफ से खुला चुथई. इसके बाद नुपुर चुप हो गयी और अपना काम मी लग गुई. एक दिन्मै और नुपुर रात को चुदाई कर रहे थे. नुपुर मरे उत्तेजेना केकफी बर्बर रही थी, जैसे हाँ हाँ मेरे रजा छोडो मुझे, और्जोर से छोडो, फार दो आज मेरी छूट को लेकिन अपना लुंड सम्हाल केराखना अभी तो तुम्हे मेरी गंद भी पह्रनी है.मैं नुपुर कि छूट जोर जोर से छोड़ रह था और बर्बर रहता, “चुप चिनल रंडी, पहले अपनी तंगो को और फैला अपनी चूत्धिला कर और मेरा लुंड पुरा का पुरा उंदर घुसने दे, साली कि चोत्त्मे हमेशा ही खुजली रहती है, आज मैं तेरी छूट छोड़ छोड़ कर्भोसरा बना दूंगा. आरे मेरी चुडैल रानी जरा धीरे धीरे bol,जैसे ही तेरे छूट को मेरा लुंड दिखता है बस तू बर्बराने लग्तीहाई, जितना लुंड प्लिवती है उतना ही चिल्लाती है. धीरे धीरे बोल्तेरे ससुर और सास बगल के कमरे मी है, व्हो कई कहेंगे. नुपुर ने मुझको अपनी बाँहों मी भर कर अपनी चुतर उछालते हुए कही, “आरे सास और ससुर मेरा चिल्लाना सुन सुम्झेंगे कि उनका लरका अपनी बीवी किचूत छोड़ रह है और इससे व्हो भी गरमा कर अपनी चुदाई शुरू कर्देंगे. अच्छा ही होगा मेरी सास कि छूट चुदेगी, दिन भर बहुत्बोलती है मन करता है कि उनकी छूट मी किसी कुत्ते का लुंड पिल्वाडून.”मैं बोला “चुप हरामजादी, सास ससुर कि चुदाई कि बात नहीकारते.” नुपुर तुनक कर बोली, “कुओं न बोलूं, क्या तिम्हारे मा बापके छूट और लुंड नही है? क्या उन्होने चुदाई का मज़ा नही लियाहाई, अगर ऐसा है तो तुम सास कि छूट से कैसे निकले? आरे तुम्नाही जानते, तेरे मा और बाप रोज दुपहर को खाना खाने के बाद अप्नेकमरे मी जाकर खूब चुदाई कटते हैं.”तेरे को कैसे मालूम कि मेरा बाप दोपहर को मेरी मा को छोड़ता है,क्या तुने देखा है क्या? आरे देखने कि क्या जरूरत है, तुम्हारी मा भी छूट मी लुंड जाते हो बहुत बर्बरती है और तेरा बापितना जोर जोर से से तेरे मा को छोड़ता है कि पलंग चर्मारानेलाग्ती है. इन आवाज को सुन सुन कर मैं भी अपनी छूट मी अपनी उन्ग्लीदल कर हिलती हूँ. “तू बहुत चिनल औरत है, अपने सास और ससुर्की चुदाई का हिसाब रखती है. मेरे को लगता है कि तू जरूर सेमेरे माबाप कि चुदाई देख चुकी है” मैं नुपुर से बोला. नुपुर तब्बोली, “हाँ मैंने तेरे माबाप कि चुदाई रोज़ देखती हूँ”. “कैसे?”आरे कैसे क्या, जब तेरे मा और बाप दोपहर का खाना खा कर अप्नेबेद्रूम मी जाते है तो मैं उनके कमरे कि खिरकी के पीछे खरीहो जाती हूँ जहन से मुझे उंदर कमरे मी जो हो रही सब कर्वाहिसफ्सफ़ दिक्लाई पार्टी है. तो क्या तू रोज मेरे माबाप कि चुदैदेखती रहती है? और क्या, कबसे? एही करीब दोतीन महीने से.अच्छा अब बोल चिनल रुन्दी जब तेरे सास और ससुर कि चुदाई देख्तीराह्ती है तो क्या उनको मालूम चलता? सास को एह बात मालूम नही, हन्तेरे बाप को मालूम है कि मैं खिरकी से उनकी चुदाई कि ससान देख्राही हूँ. व्हो कैसे? एक दिन मैं रोज कि तरह से अपने सास और ससुर के बेडरूम के खिरकी पीछे खरी थी और उनकी चुदाई देख रही थी कि एकाएक ससुर जी अपना लुंड सास कि छूट मी पेलते पेलते अपना मुँह खिरकी कि तरफ घुमाया. मेरे पास इतना टीम नही था कि मैं चुप जाऊँ और ससुर जी ने हमे खिरकी के बाहर खरे देख लिया. मैं भी क्या करती, मैवान्ही खरी रहे और उनकी चुदाई का ससान देखती रही. ससुर जिहुमे देख कर सिर्फ मुस्कुरा दिया और सास कि तंग हमारी तरफ घुमाकर हमे दिखा दिखा कर अपना लुंड सास कि बुर मी अन्दर बाहर कर्नेलागे. तू पूरी तरह से रुन्दी है, अच्छा अब बोल तुने मेरे बाप कोमेरे मा को कैसे छोड़ते हैं. नुपुर बोली, “एक सफी बात बातों, तेरिमा नंगी होने पर बहुत सेक्सी लगती है और व्हो बहुत हुद्दकरौरत है. ” कैसे मालूम?”एकदिन मैं उनकी चुदाई देख रहे थी कि देखी बाबुजी ने ससुमा केसर कपरे उतर दिया और माजी बिल्कुल नंगी हो बाबुजी से लिपत्रही थी और उनका लौरा अपने हाथ मी पाकर कर जोर जोर से मसल्राही थी. बाबुजी एक हाथ से नंगी माजी कि चुन्ची दबा रहती और दुसरे हाथ कि उन्ग्लेओं से माजी कि छूट खोद रहे थी.सास जी जोर जोर से सिसकारी भर रही थी और बोल रही थी, “हैमेरे रजा जल्दी करो, मेरी छूट तुम्हारे लुंड खाने के लिए बहुतातुर है. जल्दी से मुझे बिस्टर पर दल कर अपना लुंड मेरी गर्मी छूट मी पेल दो और मुझे छोडो. बौजी ने कहा, “आरे रुको इतनी भिजल्दी क्या है, जर मुझे तुम्हारा छूट को पहले अपने उंगली सेफिर जीव से छोड़ने दे फिर मैं तेरी छूट मी पाना लुंड डालूँगा.अभी अभी तो कमरे आई हो और अभी से छूट छोड़ने कि बात कह्राही हो? अभी तो पुरा दोपहर पर हुआ है, पार्थो तो अभी ४५घन्ती नही आयेगा और उसके आने के बाद ही चाय मिलेगी.” माजी नेह सब सुन कर बोली, “है तुम्हे मेरी छूट मी उंगली करना है और्चातना है, वो सब बाद मी कर लेना पहले मेरी छूट मी अपना लुन्द्पेलो, मैं बहुत चुदसी हूँ.