मेरी बहेन को गंडो ने रंडी बनदी

नमस्कार, मेरा नाम राहुल है और मेरी पिच्छली कहानी मे अपने जाना था की मेरी दीदी कैसे 3 लोड एक साथ खा गयी थी.

मेरी बड़ी बेहन जिनका नाम रीति है, वो 23 साल की बोहोट खूबसूरत लड़की है, जो मेरे साथ देल्ही में रहती है. उनकी मेषर्मेंट 36-29-38 है.

अब आयेज की कहानी शुरू करता हूँ..

बात उन दीनो की है जब मैं अपनी दीदी के साथ किराए के घर पे रहता था, और यूयेसेस के मोहल्ले के आस-पास का एरिया अछा नही था. क्यूंकी उधर काई आवारा गुंडे और चोर रहते थे, जिनकी नज़र 24 घंटे मेरी बेहन पर रहती थी.

मेरी उन्न लड़कों के साथ दोस्ती थी, लेकिन जब भी मैं उनके पास जाता उनसे मिलने तो वो उनके ग्रूप का लीडर प्रीत मुझे काई बार मज़ाक में गालिया निकल देता.

दोस्तों में तो गालिया चलती रहती है, लेकिन वो मुझे तब गालिया निकलता जब मेरी दीदी भी घर के बेर होती. मुझे ज़्यादा तार गालिया वो मेरी दीदी की तरफ देख कर निकलता, जेसे की तेरी बेहन की छूट में मेरा लंड छूतिए या तेरी बेहन की गंद मारु.

काई कबार यह सब बातें दीदी भी सुन लेती थी, लेकिन क्या कर सकते अग्र घर पे बतते तो घर वालों ने वापिस पुंजब बुला लेना था. उप्र से हम प्रीत को कुछ कह भी नही सकते वो यूयेसेस मोहल्ले का गुंडा था.

मैने और दीदी ने फ़ैसला किया के हम प्रीत को और उसके दोस्तो को बुलाना बांड्ड़ क्र देंगे और एसा ही हुया. एक हफ़्ता हो गया मैने प्रीत और उसके दोस्तो को बुलाया नही.

एक दिन एसा हुया मैं घर से बेर किसी काम से निकला और प्रीत ने मुझे रास्ते में घेर लिया, और बोला के तेरा मार मार के बुरा हाल कर दूँगा.

मैं दर गया, वो कहता अग्र बचना चाहता है तू तो मेरा काम कर. मैने कहा, क्या काम क्रू? तो प्रीत कहता के अज्ज रात अपने घर की खिड़की खोल देना बस.

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मुझे लगा प्रीत चोरी करने के लिए आएगा और चोरी करके चले जाएगा. मैने एसा ही किया आधी रात को मैने करीब 12 ब्जे अपने घर की खिड़की खोल दी और उपर वेल कमरे में जाक्र अपनी दीदी के साथ बेत गया और टीवी देखने लगा.

करीब एक घंटे बाद कुछ दस्तक हूतलयी और मैं हैरान तो तब रह गया, जब एक आदमी आंद्र आया उपर वेल कमरे में उसने एक बाग तांगा हुया था.

उसने सिंपल से कपड़े डाले थे, लेकिन उसके चेहरे पे ब्लॅक कलर का मास्क लगा हुया था, मैं उसके तरफ हाथ उठा कर बढ़ा उसने मेरा हाथ पकड़ के मुझे मारा और दीदी के कमरे में कुर्सी पर बिता के रस्सियो से बाँध दिया और मेरे मुहह में मेरा खुद का रुमाल दल दिया.

मैं हैरान था, मुझे टा था यह प्रीत है और कोई नही, वो फिर मेरी दीदी के पास गया और उसने आवाज़ बदल कर भारी सी आवाज़ में बोला की जो मुझे चाहिए वो आज रात को तू देदे तेरा और तेरे भाई का पीछा हमेशा के लिए छ्चोड़ दूँगा.

दीदी ने जो ज्वाब दिया मैं वो सुनके हैरान था. दीदी कहते हन ठीक है, लेकिन फिर कभी मेरे भाई का पीछा नही क्रना और एसा ही हुया, दीदी मेरे पास आए मेरे कान में कहते सॉरी राहुल.

मेरा शक तब यकीन में बदला जब वो अंजान आदमी मेरे पास आया और वो मुझे कहता, थॅंकआइयू राहुल.

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