न अत न पता बस चुत मिली और चोद दिया

अंतरवासना के सभी प्रिय पाठकों को मेरा प्रणाम. पहले मैं सोचता था कि इस साईट की सारी कहानियाँ काल्पनिक हैं किंतु जब मेरे साथ भी ऐसी घटना हुई तब मुझे यकीन हुआ कि यह सब सच्ची कहानियाँ हैं. आज मैं उसी घटना को आपके साथ शेयर कर रहा हूँ. मैं आशा करता हूं कि मेरी यह पहली कहानी आप सभी को पसंद आएगी और संयोगवश अगर भाषा त्रुटि रह गयी हो तो क्षमा करें.

मेरा नाम नयन है. मैं मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रहता हूँ और एक प्राईवेट आई टी कंपनी में इंजीनियर हूँ. मैं 23 साल का हूँ. मैंने अपने लंड का आकार कभी नापा नहीं है. पर मेरा लंड पहली बार जिस किसी भी उम्र की फीमेल की चूत में जाता है तो उसकी चीख जरूर निकाल देता है. शायद इसीलिए लड़कियों से ज्यादा आंटीज मुझे पसंद करती हैं.

यह घटना कुछ यूँ घटी कि जनवरी में मैं एक बार बस से इंदौर से अपने होम टाऊन (नीमच) जा रहा था, जो कि रात भर का सफर है. मैं अक्सर रात में ही सफर करता हूँ.

मैंने एक सीट बुक की थी. मैंने रात को 10 बजे अपने पिक अप पाइंट से बस पकड़ ली. मैं अपनी सीट पर जा कर बैठा, चूंकि ठंड बहुत थी तो मैं कम्बल ओढ़ कर आंखें बंद करके सो गया.

करीब 30 मिनट बाद कुछ आवाजें सुन कर मेरी आंख खुली, बस अगले स्टाप से सवारी चढ़ा रही थी.

मैंने देखा कि मेरी बगल वाली विंडो सीट पर एक औरत बैठी हुई हैं. मैं तो उसे देखता ही रह गया. क्या कमाल की खूबसूरती थी उसकी. उसने बुर्का पहना था और ऊपर स्वेटर डाल रखा था. उसकी उम्र कोई 29-30 साल की होगी, लम्बा कद, रंग गोरा, मस्त चूचियाँ, जिन्हें देखते ही किसी के भी मन बेकाबू हो जाए.

मैं उसे घूरे जा रहा था. तभी उसकी नजर मुझ पर पड़ी. मैंने उससे अपनी नजरें हटाई और दूसरी तरफ देखने लग गया. पर मेरा मन बार बार उसकी तरफ आकर्षित हो रहा था.

थोड़ी देर बाद बस इंदौर शहर के बाहर निकल गयी. धीरे धीरे ठंड भी बढ़ने लगी. चूंकि उसने सिर्फ स्वेटर पहना हुआ था तो उसे अब ठंड लग रही थी.

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मैंने उसे ठिठुरते हुए देखा तो थोड़ा झिझकते हुए पूछ लिया- आपको ठंड लग रही हैं क्या?
उसने कहा- नहीं.
मैं- अगर ठंड लग रही हैं तो आप मेरा थोड़ा कम्बल अपनी तरफ ले सकती हो.

उसने मेरी तरफ देखकर एक हल्की सी स्माइल दी और आधा कम्बल अपनी तरफ ले लिया. अब हम दोनों एक ही कम्बल में बैठे थे.

फिर उसने मेरा नाम पूछा, मैंने अपना नाम बताया. मेरे पूछने पर उसने अपना नाम शाईना बताया.

मैंने बात जारी रखते हुए पूछा- आप कहा तक जा रही हो?
शाईना- नीमच, और आप?
मैं- मैं भी.

शाईना- अच्छा हैं, नहीं तो मैं बिना बोले बोर हो जाती रात भर.
थोड़ी शरारत भरी मुस्कान लेकर मैं- ऐसे कैसे बोर हो जाती, मैं हूँ ना आपको खुश करने के लिये.
शायद वो मेरी बात का मतलब समझ गयी. उसने कुछ ना कहा, बस एक स्माइल दे दी.

थोड़ी देर ऐसे ही बातें करते हुये उसकी आंख लग गयी.

तब मैंने उसके साथ चिपकना शुरु किया. कभी अपनी जांघों से उसकी जांघों को टच करता तो कभी अपनी कोहनी से उसके बूब्स को टच कर रहा था.

फिर मैंने डरते डरते अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया और सोने का नाटक करने लगा.

कुछ समय बाद उसकी आंख खुली और मेरा हाथ अपनी जांघों पर देखा, पर वो कुछ ना बोली. मेरे हाथ के स्पर्श से वो भी गर्म होने लगी थी तो उसने अपनी जांघें थोड़ी और खोल दी ताकि मेरा हाथ उसकी चूत तक पहुँच सकें.

फिर मैंने भी अपना हाथ थोड़ा आगे बढ़ा कर उसकी चूत को टच कर लिया. और अपना हाथ बिना हिलाए 10 मिनट तक वहीं रखा.
मैंने आंख खोलकर उसको देखा, वो भी मुझे देख रही थी. आंखों ही आंखों में हम एक दूसरे की मंशा समझ गये.

मैं उसकी चूत को बुर्के के ऊपर से सहलाने लग गया. उसने भी अपना एक हाथ मेरी पैन्ट के ऊपर मेरे लौड़े पर रख दिया.
कुछ देरी ऐसे ही सहलाने के बाद मैंने शाईना से कहा- मुझे तुम्हारी चूत को चूसना है.
हम दोनों पूरी तरह गर्म हो चुके थे तो अब रुकने का तो सवाल ही नहीं था.

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उसने हाँ कर दी और अपने पजामे और पैन्टी को नीचे सरका दिया. अब मैं पूरा कम्बल में घुस कर अपनी जीभ उसकी चूत पर फेरने लगा. और मैं अपने हाथ से उसके बूब्स को पकड़ कर जोर से मसलता जा रहा था.

उनके मुंह से मस्त सेक्सी ‘आ आ आआ … उउउ उउ … हह हहह … अअ अअ … उई उई उई’ की आवाजें निकल गयी. बस में कोई जाग ना जाये, इसलिए उसने अपने होठ़ों को अपने दांतों के बीच दबा लिया. और मेरा मुँह अपनी चूत पर पूरा दम लगा कर दबाये जा रही थी.

फिर कुछ देर चाटने के बाद उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी पी गया.
अब मैंने कम्बल से निकल कर शाईना से कहा- अब तुम्हारी बारी.

अब उसने अपना मुँह कम्बल में करके मेरी पैन्ट से मेरा लंड बाहर निकाल कर अपने मुँह में भर लिया. मेरा लंड काफी बड़ा है तो वो पूरा लंड अपने मुँह में नहीं ले पा रही थी. मैं भी उसका सर पकड़ कर अपने लंड से उसके मुँह को चोदे जा रहा था.

कुछ देर ऐसे ही उसको अपना लंड चूसाने के बाद उसके मुँह से लंड को बाहर निकाल लिया क्योंकि मैं अभी झड़ना नहीं चाहता था.

फिर हम दोनों कम्बल में घुस गये और एक दूसरे के होठों पर टूट पड़े. मन तो कर रहा था कि उसके सेक्सी गुलाबी होठों को खा जाऊं. करीब 15 मिनट की किसिंग के बाद हम अलग हुये.

अब मैं उसकी चुदाई करने के लिये तैयार था, परंतु वो बोली- यहाँ बहुत सारे लोग हैं, कोई देख लेगा. मैं इससे आगे कुछ नहीं करुँगी. काफी समझाने के बाद भी जब वो नहीं मानी तो मैंने इस प्राँबल का एक साल्यूशन सोचा.

मैंने खुद को ठीक किया और आगे बस कंडक्टर के पास जाकर बोला- भाई, सीट पर ठंड बहुत लग रही हैं. कोई खाली स्लीपर मिल सकता हैं क्या?
चूंकि आधा सफर हो चुका था तो कुछ सवारी रास्ते में उतर चुकी थी. तो कंडक्टर ने कुछ और पैसे लेकर हमें एक खाली डबल स्लीपर दे दिया.
मैं शाईना को साथ लेकर उसमें बैठ गया.

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