चुदाई के सात दिन भाग 1

शिवांश ने कहा आप कूलर वाले कमरे में सो जाइये मैं पीछे कमरे में सो जाता हूँ, मैंने उसका भोला पन देख कर कहा अरे नही गर्मी में क्यो लेटोगे? तुम भी इसी कूलर वाले कमरे में सो जाओ,

कूलर के कमरे में 2 तखत सटे हुए लगे हुए थे। एक तखत पर शिवांश लेट गया एक पर मैं। थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई और सुबह कब हुई पता ही नही चला मैं सुबह 5.30 पर उठ गई मैने नहाया और तैयार हो गई 6.30 पर शिवांश भी उठ गया मैने उससे कहा ब्रेड ले आओ चाय बना दूँ, वो ब्रेड ले आया फिर मैंने ब्रेड में मक्ख़न लगाया और चाय बनाई,

हमलोगों ने नाश्ता किया और 7 बजे तक मैं निकलने के लिए तैयार हो गई एग्जाम देने के लिए। मैंने शिवांश को बाय कहा, और बोला कि 11.30 तक आ जाऊंगी मै। उसने कहा ठीक है दीदी बेस्ट ऑफ लक बाय।

एग्जाम सेंटर पहुंच कर मैंने एग्जाम दिया एग्जाम काफी अच्छा हुआ था। अब मैं लौटते हुए सोच रही थी कि बलिया वापस चली जाऊं या यही रुकूँ। मैंने सोचा हफ्ते भर की तैयारी से आई थी फिर इतने जल्दी वापस जाना खल जाएगा , और फिर नॉर्मली एक बात आई मन मे जो हर लड़की के मन मे आती ही है, मैने सोचा शिवांश के साथ कुछ दिन अकेले ठीक रहेगा या नही फिर सोचा दिक्कत भी क्या है , शिवांश भोला सा तो है क्यूट सा छोटे भाई की तरह, अगर उसके मन मे कुछ गलत होता तो कल रात ही पता लग जाता, उसके साथ ही एक कमरे में सोई थी।

अंततः मैंने फैसला कर लिया कि हफ्ते भर रुकती हूँ। फिर जाऊंगी हफ्ते भर बाद रुचिका दीदी से भी मिलना हो जएगा। मैंने रुचिका दीदी को फोन मिलाया और उनको बताया कि मैं आपके यहाँ आई थी मेरा पेपर था, सोचा था हफ्ते भर छुट्टी आपके साथ बिताऊंगी पर आपलोग है ही नही,

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दीदी बोली अब क्या करोगी?

मैने कहा हफ्ते भर के लिए समान लाई थी बैग भारी है मेरा, जाऊँगी तो खलेगा।

दीदी ने कहा तुम्हारी मर्ज़ी रुकना हो तो रुको अगले सोमवार को मैं आऊंगी, नही तो चाहो चली जाना बलिया।

मैने कहा नही नही मैं रुकूँगी आपसे मिले बिना नही जाऊंगी बहुत दिन हो गए हैं मिले।

दीदी ने कहा ठीक है मिलने का मन तो मेरा भी है बहुत।

मैने कहा अच्छा दीदी ठीक है ,

दीदी को बाय बोला और फोन रख दिया।

मैं घर पहुँची घंटी बजाई शिवांश ने गेट खोला, उसने पूछा पेपर कैसा हुआ?

मैंने कहा अच्छा हुआ।

उसने मुझे पानी दिया और पूछा तो क्या सोंचा अपने? रुकेंगी या जाएंगी?

मैने कहा रुकूँगी दीदी से मिल कर ही जाऊंगी। और तुम्हारे गाने सुनूँगी।

मैने कुछ देर आराम करने के बाद शिवांश से कहा कुछ बना देती हूं बताओ क्या खाओगे? शिवांश ने कहा दाल चावल तो मैंने बना दी है बस रोटी बनानी है और सब्जी। मैने कहा अच्छा मैं बना देती हूँ। मैने खाना बनाया फिर अपने लिए और शिवांश के लिए खाना निकाला और हमने खाना खाया।

खाने के बाद मैंने शिवांश से गाना सुनाने को कहा उसने पहले मुझे शास्त्रीय संगीत सुनाया, वो बहुत ही अच्छा गाता है, फिर उसने मुझे गिटार पर गाना सुनाया मै सुन कर बड़ी खुश हो गई। उसकी आवाज़ बहुत ही ज्यादा अच्छी थी मै तो उसकी फैन हो गई उसके गिटार बजाने और गाना गाने के तरीके से।

मेरा मन उसके लिए अजीब सा हो गया मन मे आया कि अगर वो छोटा न होता मुझसे तो उसे प्रपोज़ कर देती। पर अपने आपको सम्हाला और उसकी बहुत तारीफ की मैने। उससे पहले मेरे मन मे किसी के लिए ऐसे विचार नही आये थे। उसका चेहरा मासूम और क्यूट था ऊपर से उसके गाने की कला से मैं पूरी तरह उसकी कायल हो गई थी।

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