कामसीँ वर्जिन छूट की चुदाई का मज़ा

जैसा कि मैंने पहले ही कहा था कि मेरी हर कहानी एक सत्य घटना पर ही आधारित रहेगी. मेरी कई सहेलियों ने अपने जीवन की घटना बतलाई है जिनको मैं आप लोगों के सामने प्रस्तुत करती रहूँगी।
आज मैं अपनी सबसे अच्छी सहेली रचिता की कहानी प्रस्तुत कर रही हूँ।

रचिता मेरे घर के पास ही रहती है और बचपन से ही हम दोनों अच्छे दोस्त हैं। आज वो 26 साल की है और शादीशुदा है।

यह सेक्सी कहानी तब की है जब वो 19 साल की थी और उसने किस तरह अपनी चुदाई करवाई, यह आज आप पढ़ेंगे।

तो शुरू करते हैं ये कहानी रचिता की ही जुबानी।
मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम रचिता है। मेरा फिगर 34-30-34 का है, शुरू से ही मेरा बदन भरा हुआ था। इसलिए मैं अपनी उम्र से ज्यादा ही लगा करती थी। मेरे उभरे हुए दूध और गांड को देख के अच्छे अच्छे जवान और प्रौढ़ आह भरते थे।

सेक्स के प्रति हमेशा से ही मेरी लगन थी. मैं अपनी सहेलियों से और फोन से सेक्स के बारे में काफी कुछ सीख चुकी थी. मगर कभी मौका मिला नहीं कि किसी के साथ ऐसा करूं। क्योंकि घर वाले काफी ध्यान दिया करते थे मुझ पर … अकेली कहीं भी नहीं जाने देते थे. भाई लोग और माँ सभी मेरे ऊपर काफी ध्यान दिया करते थे जिसके कारण मैं कभी खुल के किसी से बात भी नहीं कर सकती थी।

मगर फिर भी घर में छुप छुपा कर हमेशा फ़ोन में गन्दी फिल्में देखा करती और अपनी चूत में उंगली किया करती थी।

बहुत सारे लड़के मुझे लाइन मारते थे मगर घर वालों के डर से मैंने कभी किसी को पास नहीं भटकने दिया. मगर मन बहुत करता था कि मुझे भी कोई चोदे।
इसी तरह मेरे दिन कट रहे थे।

फिर एक बार मेरी मौसी जो मेरे घर से 150 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे में रहती है, वो हमारे यहाँ घूमने आई हुई थी। उनके कोई बच्चे नहीं थे इसलिए मुझे बहुत प्यार करती थी।

गर्मियों की छुट्टियां चल रही थी तो वो मुझे अपने यहाँ चलने को कहने लगी. मैं तो तैयार थी मगर पापा नहीं मान रहे थे।

किसी तरह से पापा मान गए। मैं और मौसी अगले ही दिन बस से चल दिये. मैं वहाँ पहली बार गई थी।
मौसी के यहाँ बस 2 ही लोग थे मौसी और मौसा। घर में 4 कमरे थे। मुझे सामने वाला कमरा सोने के लिए मिला.

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उनके बगल वाले घर में एक परिवार रहता था जिसमें पति पत्नी और उनकी एक छोटी सी बच्ची रहते थे। मौसी से उन लोगों से काफी अच्छी बनती थी बिल्कुल घर जैसा ही था।
मैं भी उन सब में अच्छे से घुल मिल गई थी।

धीरे धीरे मुझे अब एक हफ्ता हो गया था वहाँ रहते हुए।

मैं अक्सर दोपहर में उनके यहाँ चली जाती और उनके बेटी के साथ खेला करती थी।
बच्ची का नाम तनु था आंटी का नाम शबाना और अंकल का नाम जसप्रीत। शबाना आंटी तो मुझे अपनी बेटी जैसी मानती थी मगर अंकल ज्यादा बात नहीं करते थे।

रोज की ही तरह मैं एक दोपहर में उनके यहाँ गई थी। वैसे तो रोज अंकल शाम को ही आते थे मगर उस दिन वो घर पे ही थे। मैं सामने वाले कमरे में तनु के साथ खेल रही थी और वहीं सोफे पे अंकल बैठ कर टीवी देख रहे थे.

उस समय मैं एक काली रंग की कुर्ती और लैगी पहने हुई थी. मैं तो खेल में मस्त थी और मुझे अहसास नहीं हुआ कि मेरे दूध की गोलाइयाँ कुर्ती से बाहर निकल रही हैं.

अचानक से मेरी नजर अंकल की तरफ गई. वो मेरे गोरे दूध को घूरे जा रहे थे, वैसे भी काली कुर्ती में गोरे दूध काफी आकर्षक लगते हैं।
मैंने तुरंत ही अपने आपको ठीक किया और उनकी बेटी को अन्दर ले गई।

इस बीच में मेरा फ़ोन वही टेबल पर ही रह गया. मुझे बिल्कुल भी ध्यान नहीं आया कि मेरा फ़ोन वहीं रह गया है।

जब मैं काफी देर बाद घर जाने को बाहर निकली तो देखी कि मेरा फ़ोन अंकल के पास है और वो उस पर मौजूद वीडियो देख रहे थे।
ये देख तो मानो मेरे काटो तो खून नहीं। मैंने तुरंत ही उनसे फ़ोन लिया और घर की तरफ भाग गई।

उस घटना के बाद से मैं तब ही वहां जाती थी जब अंकल घर पर नहीं होते थे।

मगर दोस्तो, कहते हैं न … किस्मत में लिखा कोई बदल नहीं सकता।
ऐसा ही हुआ मेरे साथ!
कुछ दिन बाद ही शबाना आंटी अपने मायके गई किसी काम से, अब मेरा तो वहां जाना बंद ही हो गया। मैं मौसी के घर पर ही रहती थी।

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एक सुबह मौसा जी को कहीं से फ़ोन आया उसके बाद वो काफी परेशान हो गए. बाद में पता चला कि उनके परिवार में किसी का देहांत हो गया है।
मौसी और मौसा जी दोनों ही जाने की तैयारी करने लगे।

तभी जसप्रीत अंकल वहां आ गए उनको वहां देख मुझे फ़ोन वाली बात याद आ गई और मैं अन्दर कमरे जैसे चली गई।
मेरे मौसा जी ने उनको सारी बातें बताई.
वो कहने लगे- आप लोग तो जा रहे हैं मगर रचिता वहां जा कर क्या करेगी? आप ऐसा करिये कि उसे हमारे यहाँ छोड़ सकते हैं. आज शाम तक शबाना भी आ रही है, दोनों साथ में रह लेंगी।

यह बात मेरे मौसा जी को अच्छी लगी और वो तैयार भी हो गए।
और फिर मौसी चले गए
कुछ ही देर में मैंने अपने कुछ कपड़े अलग किये और मैं जसप्रीत अंकल के साथ वहां चली गई।

मौसी मौसा को तीन चार दिन का समय लगने वाला था. तब तक मुझे वहीं रहना था, मेरे दिल में तसल्ली इस बात की थी कि शबाना आंटी शाम को आने वाली थी।

उस दिन अंकल अपने काम में भी नहीं गए.
मैंने वहां पर जसप्रीत अंकल और अपने लिए दोपहर का खाना बनाया।
हम दोनों ने दोपहर का खाना खाया और अंकल अपने कमरे में सोने चले गये।

मैं भी अलग कमरे में लेटी थी और फ़ोन में गेम खेलने लगी।
काफी देर तक गेम खेलने से बोर हो गई तो मैंने उसमें गन्दी वीडियो देखना शुरू कर दिया।

वीडियो देखते हुए मेरा एक हाथ मेरी चड्डी के अन्दर चला गया और मैं अपनी कुवारी चूत को सहलाने लगी।
उस वक्त सच में अपने आप को सम्भाल पाना मुश्किल होता है, मेरे मन में उस वक्त अंकल का डर भी नहीं आ रहा था।

दोस्तो, जब तक मेरा पानी नहीं निकल गया तब तक अपनी चूत को सहलाती रही और उंगली करती रही।
जब मेरा पानी निकला तब भी मैं वैसी ही लेटी रही, और कब मेरी आँख लग गयी एक भी पता नहीं चला।

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